किसान आन्दोलनक्या था जिसकी धमक दिल्ली और देश ही नहीं, विदेशों तक महसूस की गई। कैसे वह शुरू हुआ, कैसे वह आगे बढ़ा, और कैसे वह जीता! कैसे पूर्ण बहुमत के शिखर पर फूली बैठी सरकार को उसने झुकने पर मजबूर किया! यह किताब इन सभी सवालों का जवाब देती है, लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं। ‘किसान आन्दोलन : ग्राउंड जीरो 2020-21’ उस ऊबड़-खाबड़ से भी गुजरती है जिसे किसी भी स्वत:स्फूर्त आन्दोलन के लिए स्वाभाविक कहा जा सकता है; और उन खास बिन्दुओं पर भी उँगली रखती है जो इसी आन्दोलन की विशेषता हो सकते थे। बदलते-उठते ग्रामीण भारत के सामन्ती अवरोध, अगुआ नेताओं की महत्त्वाकांक्षाएँ, पीढ़ियों के टकराव, लिंग, वर्ण, वर्ग और जाति के विभाजन, भय, साहस और रूमान की उलझनें—यह सब इस आन्दोलन की तहों में सक्रिय था; और यह रिपोर्ताज जिसे विभिन्न आन्दोलनों के साक्षी रहे युवा पत्रकार मनदीप पुनिया ने किसान मोर्चों के बीचोबीच रहने के बाद लिखा है, इन ओझल कोनों की भी निष्पक्ष भाव से पड़ताल करता है।
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Paper Back |
Publication Year | 2022 |
Edition Year | 2023, Ed.3rd |
Pages | 256p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Sarthak (An imprint of Rajkamal Prakashan) |
Dimensions | 19 X 12 X 1.5 |