जीवन के विविध प्रसंगों में कई बार धारणाएँ ध्वस्त होती हैं, भ्रान्तियाँ भग्न होती हैं, नवीन अनुभव नवनिष्कर्षों को गढ़ते हुए कभी मनुष्य को सन्तप्त करते हैं तो कभी चमत्कृत। ऐसे में जीवन-सरणि पर विचरते कुछ किरदारों की केंचुल उतरने लगती है—उनकी विद्रूपता झलकने लगती है तो कुछ किरदार साँचा तोड़ नवरूप धरते दिखाई देते हैं। नवरूपता ही नहीं, अपरूपता भी जीने का सलीक़ा सिखाती है।

पुस्तक की प्रायः सभी कहानियाँ द्रष्टा को ‘नॉन जजमेंटल’ होने और पूर्वग्रहों से मुक्त होकर जीवन को परखने को कहती हैं।

नारी है तो अभिशप्त है, पुरुष है तो परुष है, दलित है तो पीड़ित है, वेश्या है तो चरित्रहीन है, गुंडा है तो भ्रष्ट है—ये पूर्वग्रह बहुत बार भ्रम साबित होते हैं। ‘निरापद’, ‘वो युधिष्ठिर’, ‘गणिका’, ‘कबूतरी’, ‘दबंग’, ‘देवभूमि’ आदि पुस्तक की अधिकांश कहानियाँ इस बात को प्रतिबिम्बित करती हैं। सफ़ेदपोशी में कालिख की डुगडुगी तो सभी बजाते हैं पर कालिमा का भी उजास है—इसे स्वीकारना और तलाशना ही जीवन का मर्म है।

पर कुछ अनुभूतियाँ कालनिरपेक्ष सत्य की तरह अकाट्य होती हैं। सूरज-चाँद-सितारों की तरह सनातन प्रतीत होती हैं, जैसे अपनी माँ सबसे सुन्दर और अपना घर सबसे बड़ा स्वर्ग है। संवेदना ने जिस कुरूप चेहरे को सदा हिकारत से देखा, वही एक दिन सुन्दरता की मिसाल बन गया।

परदेस गए बेटे का वियोग बूढ़े माँ-बाप को कैसे सालता है—‘अपना घर अपना आसमान’ इस पीड़ा का आईना है, ‘खुली छतरी’ बाल मनोविज्ञान का चित्रण करती है तो ‘सज़ा’ आदर्श नारी के मिथक को तोड़कर उसके सहज रूप में संवेग और आवेग, प्यार और प्रतिकार की सृष्टि करती है।

अनब्याही माँ बनना, बलात्कार को मात्र दुर्घटना मानना, स्त्री द्वारा लीक तोड़कर शठे शाठ्यं समाचरेत् की परिपालना—समाज के ये नए मूल्य कहानियों में उजागर हुए हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 120p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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You're reviewing:Khuli Chhatri
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Bhavana Shekhar

Author: Bhavana Shekhar

भावना शेखर

मूलत: हिमाचल प्रदेश से जुड़ी, दिल्ली में जन्मीं। ‘लेडी श्रीराम कॉलेज’ से स्नातक व स्नातकोत्तर (द्वय) की पढ़ाई कर ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ से संस्कृत में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। अध्यापन के साथ-साथ आकाशवाणी व दूरदर्शन से जुड़ाव। रेडियो फ़ीचर, वार्ताएँ, नाटक, समीक्षा, कविता व कहानी-लेखन में रुचि।

प्रमुख कृतियाँ : ‘आस्तिक दर्शनों में प्रतिपादित मीमांसा सिद्धान्त’ (शोध-ग्रन्थ); ‘सत्तावन पंखुड़ियाँ’ (कविता-संग्रह); ‘जीतो सबका मन’ (बालगीत-संग्रह); ‘जुगनी’, ‘खुली छतरी’ (कहानी-संग्रह)।

2011 में राष्ट्रीय स्तर की बालकथा-प्रतियोगिता में कहानी 'गुलाब का फूल’ को सर्वश्रेष्ठ कहानी चुने जाने पर ‘मधुबन सम्बोधन पुरस्कार’ से सम्मानित।

ई-मेल : bhavnashekhar8@gmail.com

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