ख़ुश रहने के लिए कुछ ज़्यादा करने की ज़रूरत नहीं है। बस सहज होने की कोशिश करें, और आप देखेंगे कि जिसे आप दु:ख मानकर अपनी ज़िन्दगी का उल्लास छोड़ बैठे हैं, उसमें भी एक सुख है। होनी को सरल भाव और खुले मन से स्वीकारें और आप देखेंगे कि आपकी इच्छाशक्ति आपको कहाँ ले जाती है। हँसिए और जब मन भर जाए तो खुलकर रोइए भी। रोना उतना बुरा नहीं है जितना माना जाता है, इससे आप नए हो जाते हैं। दिमाग़ से काम लें लेकिन दिल की भी सुनें, पुस्तकें पढ़कर अपनी कल्पना को नया आकाश दें, और ख़ुशी के परिन्दों के साथ उड़ें।
यह पुस्तक ऐसी ही छोटी-छोटी बातों से आपको जीना सिखाती है, ख़ुश रहना सिखाती है। और बताती है कि जीवन अपने आप में ही कितना सुखकारी, कितना अनमोल वरदान है; ज़रूरत है बस हिम्मत, धीरज और सहनशीलता के साथ उसे जीना सीखने की। आशा है, यह किताब इस राह में अवश्य ही आपकी हमसफ़र बनेगी।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Publication Year | 2017 |
Edition Year | 2017, 1st Ed |
Pages | 112p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Funda (An imprint of Radhakrishna Prakashan) |