Kavya Kavi-Karm : Sattarottari Hindi Kavita

Edition: 2004
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Kavya Kavi-Karm : Sattarottari Hindi Kavita

डॉ. मुरलीधरन की यह पुस्तक जहाँ एक ओर खड़ी बोली में लिखी कविताओं का संक्षिप्त परन्तु सुचिंतित इतिहास है वहीं सत्तर के बाद की कविताओं का गम्भीर विवेचन भी है। कविता और कवि-कर्म की सारगर्भित परिभाषा के साथ ही साथ सत्तर के दशक की कविता के कुल और शील का व्यापक विवरण भी इसमें है। यह कार्य एक अभाव की पूर्ति करता है। साठोत्तरी कविता के अवशेषों का उल्लेख करते हुए लेखक ने सत्तर के दशक के मोहभंगजन्य खीज, आक्रोश, विक्षोभ, विसंगति, संत्रास, अराजकता, राजनैतिक परिवर्तन की आकांक्षा और उलटफेर की आवश्यकता की प्रतीति को सप्रमाण रेखांकित किया है।

इस पुस्तक की प्रमुख विशेषता है कि इसमें वैदुषिक दृष्टि से उपलब्ध सभी कवियों की कृतियों को विश्लेषण के लिए चुना गया है, जिसके कारण इस मूल्यांकन का महत्त्व बढ़ गया है। यह पहली पुस्तक है जिसमें हिन्दी-काव्य साहित्य को राष्ट्रीय दृष्टि से विवेचित किया गया है। विचारधाराओं के दबाव और संगठनों के नज़रिए से मुक्त होकर किया गया सटीक विश्लेषण इसे छात्रों के लिए ही नहीं अध्यापकों के लिए भी उपयोगी बनाता है।

डॉ. मुरलीधरन के गहन अध्ययन और तत्त्वदर्शी दृष्टि का प्रमाण तो पुस्तक है ही। इससे भी महत्त्वपूर्ण है इसके ज़रिए उन सूक्ष्म अन्तरों और कमियों की ओर संकेत जो पीढ़ियों, दशकों के अन्तराल में मिलते हैं। इसमें कवियों की विशेषताओं और कृतियों की गुणवत्ता तथा अन्तर्वस्तु को स्पष्टता के साथ रेखांकित किया गया है। कविताओं को रचनाकार की आयु के तर्क से नहीं समकालीनता और रचनात्मकता के आधार पर परीक्षित करने के कारण पुस्तक का महत्त्व बढ़ गया है।

छठें, सातवें और आठवें दशक की सामान्यताओं, अनुरूपताओं और विरुद्धताओं को अत्यन्त सावधानी से इसमें परिभाषित किया गया है। पुस्तक विद्वानों, छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए निश्चय ही उपयोगी है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Edition Year 2004
Pages 199p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: A. M. Murlidharn

.एम. मुरलीधरन

जन्म : केरल के ज़िला कण्णूर के कुयिलूर नामक गाँव में सन् 1959 में।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा : कुयिलूर ए.एल.पी. स्कूल से। एस.एस.एल.सी. : सरकारी हाईस्कूल, इरिक्कूर। बी.ए. (हिन्दी) : पी.आर.एन.एस.एस. कॉलेज, मट्टन्नूर। एम.ए., एम.फ़िल्.,

पी-एच.डी. कालिकलू विश्वविद्यालय। शोध : ‘सत्तरोत्तरी हिन्दी कविता की प्रवृत्तियाँ और अवधारणाएँ’।

विशेष अध्ययन : ‘कमलेश्वर के उपन्यासों में दलित-पीड़ित वर्गों की समस्या’

अनुवाद : हिन्दी से मलयालम में और मलयालम से हिन्दी में। कहानियों एवं कविताओं का अनुवाद पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। मलयालम के मशहूर साहित्यकार कोविलन के ‘तोट्टङ्ङल’ नामक उपन्यास का अनुवाद ‘आवाहनगीत’ नाम से किया गया है।

सम्प्रति : सामूतिरि गुरुवायूरप्पन कॉलेज में प्राध्यापक रहे।

 

 

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