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Kavya Chayanika-Hard Cover

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9789352210466
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बिगड़ते पर्यावरण की समस्या आज मनुष्य के लिए भूख के बाद दूसरी सबसे बड़ी समस्या है। भूख जिस तरह एक देह के अस्तित्व के लिए आसन्न ख़तरा होती है, उसी तरह पर्यावरण-विनाश सृष्टि के अस्तित्व के लिए होता है। एक-एक व्यक्ति के रूप में जी रहे हम लोगों की आँखों से वह ख़तरा भले ही इतने स्पष्ट और ठोस रूप में न दिखाई देता हो, और भले ही हम बीच-बीच में प्रकृति द्वारा दी जानेवाली चेतावनियों को नज़रअन्दाज़ करने की ढीठता भी जुटा लेते हों, लेकिन जल, ज़मीन, हवा और हरियाली का सतत क्षरित होता जीवन उन निगाहों से अनचीन्हा नहीं रह जाता जो प्रस्तुत उल्लास की झीनी चदरिया के पार दूर क्षितिज के धुँधलके में लिखी जा रही नाश-विनाश की पटकथाओं की पंक्तियाँ पढ़ लेती हैं, यानी कवियों और रचनाशील हृदयों की निगाहें। यह पुस्तक प्रकृति और कवि के इसी अपने, और समाज की रिश्तेदारियों के धोखादेह प्रपंच से परे, उनके निहायत पवित्र और निजी रिश्ते का दस्तावेज़ है।

पाठकगण इस किताब को सरकारों और संस्थाओं के रस्मी पर्यावरण-प्रेम और शुष्क रुदन के काव्यानुवाद के रूप में न लें। यह समष्टि-मन के रचनाकुल और ईमानदार स्नायुओं की पीड़ाजनित प्रतिक्रियाओं का संकलन है जिसमें हिन्दी के नए-पुराने, वरिष्ठ, श्रेष्ठ और सजग रचनाकारों ने प्रकृति के साथ अपनी सम्बन्ध-यात्रा के सबसे चिन्तित क्षणों को वाणी दी है। संग्रह में एक सौ एक समकालीन कविताएँ और पैंतालीस कवि शामिल हैं। कौन छोटा है, कौन बड़ा है, यह सवाल अप्रासंगिक है। क्योंकि कविता का विषय महत्त्वपूर्ण है, समस्याओं की भयंकरता प्रासंगिक है। एक ही त्रासदपूर्ण मुद्दा सबके लिए महत्त्वपूर्ण है। सब में आशंकाएँ हैं तो साथ ही आशाएँ भी हैं। प्रकृति की आसन्न मृत्यु पर चीख़ने के बजाय प्रतिरोध खड़ा करना ये रचनाकार अपना दायित्व समझते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 204p
Price ₹450.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Pramod Kovaprath

Author: Pramod Kovaprath

डॉ. प्रमोद कोवप्रत

जन्म : 1973 केरल के कन्नूर ज़िले के इरिणव गाँव में।

शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, एम.ए. अंग्रेज़ी, नेट (यू.जी.सी.), बी.एड., अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, पीएच.डी. हिन्दी।

प्रकाशित कृतियाँ : आलोचना—‘भारतीय जीवन-मूल्य और ज्ञानपीठ पुरस्कृत हिन्दी कवि’, ‘समकालीन हिन्दी कविता का तापमान’, ‘शताब्दी कवि—धरती और धड़कन’, ‘हिन्दी गद्य विमर्श के लिए नए क्षितिज’;

सम्पादन—‘इक्कीसवीं सदी में अनुवाद : दशाएँ और दिशाएँ’, ‘हिन्दी साहित्य-समय से साक्षात्कार’, ‘हिन्दी दलित साहित्य का विकास’, ‘हिन्दी साहित्य : समकालीन परिप्रेक्ष्य’, ‘समकालीन हिन्दी साहित्य और नए विमर्श’।

सम्मान : केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय (भारत सरकार) का 'हिन्दीतर भाषी हिन्दी लेखक पुरस्कार', धामपुर (उ.प्र.) से ‘साहित्य गौरव सम्मान’, वाराणसी (उ.प्र.) से ‘यास्क पुरस्कार’, नाथ द्वारा (राजस्थान) ‘इंडी भाषा भूषण सम्मान’, लालसोट (राजस्थान) से ‘अनुराग साहित्य सम्मान’, बिहार से ‘विद्यावाचस्पति सम्मान’, भीलवाड़ा (राजस्थान) से ‘राष्ट्रीय साहित्यांचल सृजन सम्मान’ आदि।

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