Kathak Vitan : Kathak Ki Tatha- Katha-Hard Back

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9789388753753
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हिन्दी में स्वयं उसके अंचल में जन्मी-विकसी शास्त्रीय कलाओं पर बहुत कम विचार हुआ है : कथक इस दुखद स्थिति का अपवाद नहीं है। नृत्य विदुषी रश्मि वाजपेयी की कथक पर यह पुस्तक उनके निजी नृत्यानुभव, रसास्वादन और आलोचना-दृष्टि से लिखा गया एक ऐसा वृत्तान्त है जो पिछले चार दशकों में कथक में जो महत्त्वपूर्ण हुआ, उसकी समझ और संवेदना के साथ किया गया लेखा-जोखा है। उससे कथक की वर्तमान स्थिति, समस्याओं और सम्भावनाओं का एक गतिशील चित्र अनायास उभरता है। इस वितान में बिरजू महाराज, कार्तिक राम, कुमुदिनी लाखिया से लेकर युवतर कथक-कलाकारों पर सूक्ष्म विश्लेषण है। साथ ही कथक के विभिन्न पक्षों; जैसे—अभिनय, कविता, समग्र सौन्दर्य, संगीत, मूल-स्वरूप, तालीम, प्रयोग, वेशभूषा आदि पर विचार किया गया है। कथक-प्रस्तुति को लेकर कुछ ज़रूरी सवाल उठाए गए हैं। यह सब पहली बार ऐसी भाषा में किया गया है, जिसमें आलोचना की सूक्ष्मता, जटिलता समझकर संवेदनशील ढंग से उसका सम्प्रेषण, समझ और संवेदना का सहज संयोग सभी हैं। हिन्दी में कथक को समझने, उसका गहरा रसास्वादन करने और उसमें अन्तर्निहित आशयों और व्यापक सांस्कृतिक अभिप्रायों को विश्लेषित करने के लिए जिस नए मुहावरे और दृष्टि की ज़रूरत है, उसकी एक सार्थक कोशिश यहाँ साफ़ नज़र आती है। उसमें सृजन और आलोचना, विचार और संवेदना घुले-मिले हैं, वैसे ही जैसे कथक में अपने श्रेष्ठ क्षणों में होते हैं।
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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, 1st Ed.
Pages 270p
Price ₹795.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1
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You're reviewing:Kathak Vitan : Kathak Ki Tatha- Katha-Hard Back
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Rashmi Vajpeyi

Author: Rashmi Vajpeyi

रश्मि वाजपेयी कथक में पंडित बिरजू महाराज की प्रथम शिष्या और सुदीक्षित कलाकार हैं। उन्होंने बाद में रायगढ़ घराने के पंडित कार्तिक राम से भी सीखा और वहाँ की बन्दिशों एवं उनके अध्ययन और प्रदर्शन द्वारा उनकी ख़ूबियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने देश-विदेश में अपनी कथक प्रस्तुतियों में कथक के समग्र को संग्रथित रूप से उसकी सौन्दर्यमूलक गीतिपरकता में रखने का जतन किया है। उनका कथक के लालित्य, सूक्ष्मता, लयात्मकता और ओज पर विशेष आग्रह रहा है। कालिदास, जयदेव, विद्यापति, पद्माकर, निराला आदि की कविताओं पर आधरित नृत्य-संरचनाएँ भी उन्होंने की हैं। मध्य प्रदेश में सांस्कृतिक नवोन्मेष में रश्मि वाजपेयी की महत्‍त्‍पूर्ण भूमिका रही है और उन्हीं की पहल पर मध्य प्रदेश सरकार ने रायगढ़ घराने को पुनरुज्जीवित करने के लक्ष्य से भोपाल में चक्रधर नृत्य केन्द्र की स्थापना की। भोपाल में कथक पर व्यापक और सघन विचार करने के लिए विख्यात ‘कथक प्रसंग’ की शृंखला भी उन्होंने ही आयोजित कराई। उन्होंने ‘द इंडिया मैगज़ीन’, ‘पूर्वग्रह’, ‘आधार’, ‘नई दुनिया’, ‘कलावार्ता’, ‘संगना’, ‘रंग-प्रसंग’ आदि पत्रिकाओं में कथक पर लिखा है और उसकी आलोचना के लिए हिन्दी में अलग साफ़-सुथरी भाषा विकसित करने की कोशिश की है। उनके द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘कथक प्रसंग’ कथक के विशेषज्ञों और कलाकारों द्वारा विचार और विश्लेषण का बहुचर्चित और प्रशंसित संकलन है, जिसमें कथक के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, शिल्प, शैली, घरानों आदि को समग्रता में देखने का यत्न है। उन्हें ‘श्रीराम भारतीय कला केन्द्र’, ‘प्रयाग संगीत समिति’, ‘नेशनल प्रेस इंडिया’ आदि से सम्मान मिले हैं। हाल ही में रंगमंच के क्षेत्र में अपने काम के लिए ‘संसप्तक’ द्वारा ‘वसुन्धरा सम्मान’ से सम्मानित हुई हैं। इन दिनों वे दिल्ली में ‘नटरंग प्रतिष्ठान’ की निदेशक हैं और ‘नटरंग’ पत्रिका का सम्पादन भी करती हैं।

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