Kamal : Sampurna Rachanayen

Collected Works - Rachnawali
Author: Devraj
You Save 20%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Kamal : Sampurna Rachanayen

‘कमल : सम्पूर्ण रचनाएँ’ लमाबम कमल आधुनिक काल के मणिपुरी साहित्य की नींव रखनेवाले रचनाकारों में से एक थे। जिसे हम आज मणिपुरी भाषा की मौलिक और समृद्ध रचनाधर्मिता कहते हैं, उसके विकास का मूल स्रोत कमल की कविताएँ हैं। उपन्यास, कहानी और नाटक के क्षेत्र में भी उनकी देन ऐतिहासिक महत्त्व रखती है। अडाङ्ल और चाओबा के साथ मिलकर कमल ने मणिपुरी भाषा की अब तक की श्रेष्ठतम रचनाकार-त्रयी का निर्माण किया।

कमल ने मणिपुरी भाषा और साहित्य की निर्धनता दूर करके उसे विश्व की समृद्ध भाषाओं और उनके साहित्य के मध्य गौरवपूर्ण स्थान दिलाने का स्वप्न देखा था। साथ ही वे मणिपुरी साहित्य को उत्कृष्ट मानव-मूल्यों और इतिहास व समाजगत सजगता से जोड़कर विकसित करना चाहते थे। उनका सम्पूर्ण साहित्य इसी अद्भुत स्वप्न को साकार करने की महती साधना का प्रतिफल है।

पिछले कई वर्षों से मणिपुर में रहकर वहाँ के साहित्य तथा समाज का अध्ययन करनेवाले हिन्दी के कवि आलोचक डॉ. देवराज ने एल. कमल सिंह की सम्पूर्ण रचनाओं का अनुवाद और सम्पादन किया है। मणिपुर के साहित्य में आधुनिकता के विकास के साथ-साथ, सुदूरपूर्व के इस राज्य की संस्कृति और समाज को समझने की दृष्टि से यह संकलन अत्यन्त उपयोगी है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2006, Ed. 1st
Pages 240p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Kamal : Sampurna Rachanayen
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Author: Devraj

डॉ. देवराज

जन्म : सन् 1955, नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), ‘नई कविता में रोमानी और यथार्थवादी अवधारणाओं की भूमिका’ पर पीएच.डी.।

प्रमुख कृतियाँ : ‘चिनार’, ‘तेवरी’ (कविता-संग्रह); ‘नई कविता’, ‘संवेदना का साक्ष्य’, ‘नई कविता की परख’, ‘तेवरी चर्चा’, मणिपुरी कविता : ‘मेरी दृष्टि में’(समीक्षा-ग्रन्थ); ‘मणिपुरी लोककथा संसार’ (लोक-साहित्य), संकल्प और साधना (जीवनी-साहित्य)। ‘मीतै चनु’, ‘मणिपुर : विविध सन्दर्भ’, ‘मणिपुर : भाषा और संस्कृति’, ‘नवजागरणकालीन मणिपुरी कविताएँ’, ‘आधुनिक मणिपुरी कविताएँ’, ‘प्रतिनिधि मणिपुरी कहानियाँ’, ‘फागुन की धूल’, ‘माँ की आराधना’, ‘जित देखूँ’, ‘तुझे नहीं खेया नाव’, ‘आन्द्रो की आग’, ‘शिखर-शिखर’, ‘कमल : सम्पूर्ण रचनाएँ’, ‘कवि चाओबा : जीवन और साहित्य’, ‘प्रयास’, ‘क्षण के घेरे में घिरा नहीं’ (सम्पादित ग्रन्थ); ‘बीहड़ पथ के यात्री’ (सम्पादक-सदस्य)।

अन्य कार्य : सन् 1985 से भारत के सीमान्त राज्य, मणिपुर में रहकर सम्पूर्ण पूर्वोत्तर भारत में हिन्दी प्रचार आन्दोलन, हिन्दी साहित्य और हिन्दी पत्रकारिता के विकास में भागीदारी। मणिपुर हिन्दी परिषद, इम्फाल मणिपुर संस्कृत परिषद, राष्ट्रीय हिन्दी परिषद; मेरठ, नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के आजीवन सदस्य। पूर्वोत्तर अध्ययन परिषद के संस्थापक-अध्यक्ष। हिन्दी लेखक मंच, मणिपुर के संस्थापक-सचिव। मणिपुर में हिन्दतरभाषी हिन्दी कवि-सम्मेलन परम्परा के प्रारम्भकर्ता। हिन्दी साहित्य में ‘तेवरी’ काव्यान्दोलन के प्रस्तुतकर्ताओं में प्रमुख। मणिपुर विश्वविद्यालय के मानविकी-संकाय के अधिष्ठाता एवं हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहने के बाद सम्प्रति स्वतंत्र लेखन।

Read More
Books by this Author

Back to Top