Kalam Ka Majdoor : Premchand-Hard Back

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9788171788682
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हिन्दी के जीवनी-साहित्य में बहुचर्चित यह पुस्तक स्वयं लेखक के अनुसार उसके करीब बीस वर्षों के परिश्रम का परिणाम है। ‘राजकमल’ से इसका पहला संस्करण 1965 में प्रकाशित हुआ था और यह एक महत्त्वपूर्ण कृति का पाँचवाँ संशोधित संस्करण है।

इस पुस्तक की तैयारी में समस्त उपलब्ध सामग्रियों का उपयोग करने के अतिरिक्त मुख्य रूप से प्रेमचन्द की ‘चिट्ठी-पत्री’ का सहारा लिया गया है, जिसके संग्रह के लिए मदन गोपाल ने वर्षों तक देश के विभिन्न भागों में सैकड़ों व्यक्तियों से पत्र-व्यवहार किया या भेंट की। इस दुर्लभ और अनुपलब्ध सामग्री के द्वारा प्रेमचन्द के जीवन-सम्बन्धी अनेक नए तथ्य प्रकाश में आए हैं। प्रेमचन्द के जीवन और कृतियों के रचना-काल एवं प्रकाशन-सम्बन्धी जो बहुत-सी भूलें अभी तक दुहराई जाती रही हैं, उन्हें भी लेखक ने यथासाध्य छानबीन करके ठीक करने का प्रयास किया है। इस प्रकार ‘कलम का मज़दूर : प्रेमचन्द’ हिन्दी में प्रेमचन्द की पहली प्रामाणिक और मुकम्मल जीवनी है, जिसमें आधुनिक युग के सबसे समर्थ कथाकार की कृतियों का जीवन्त ऐतिहासिक सन्दर्भ और सामाजिक परिवेश प्रस्तुत किया गया है। जैसा कि इस पुस्तक के नाम ‘कलम का मज़दूर : प्रेमचन्द’ से ही स्पष्ट है, इसमें प्रेमचन्द के वास्तविक व्यक्तित्व को पूरी सच्चाई और ईमानदारी के साथ उभारकर रखने का प्रयास किया गया है।

प्रेमचन्द के व्यक्तित्व के अनुरूप ही सीधी-सादी अनलंकृत शैली में लिखी हुई इस पुस्तक की शक्ति स्वयं तथ्यों में है। कुछ दुर्लभ चित्र पुस्तक का अतिरिक्त आकर्षण हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1965
Edition Year 2019, Ed. 5th
Pages 319p
Price ₹895.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 3
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Author: Madan Gopal

मदन गोपाल

जन्म : 22 अगस्त, 1919 को हाँसी, ज़िला हिसार में। 1938 में सेंट स्टीफेन्स कॉलेज, दिल्ली से बी.एससी.। पत्रकार जीवन की शुरुआत लाहौर की ‘सिविल एंड मिलिटरी गज़ट’ के सम्पादन से, तत्पश्चात ‘स्टेट्समैन’, नयी दिल्ली में काफी अर्से तक संपादकीय विभाग से संबद्ध रहे। बाद में ‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ के विभिन्न विभागों से जुड़े रहे और फिर ‘प्रकाशन विभाग’ के निदेशक पद पर रहकर सेवामुक्त हुए।

1944 में प्रेमचन्द पर अंग्रेज़ी में एक पुस्तक प्रकाशित की जो उन दिनों तक प्रेमचन्द पर पहली ही पुस्तक थी। पीछे प्रेमचन्द की अनेक कहानियों के अंग्रेज़ी अनुवाद भी प्रस्तुत किए। मदन गोपाल उन अग्रणी लेखकों में हैं जिन्होंने अंग्रेज़ी पाठकों को हिन्दी लेखकों से परिचित कराने की शुरुआत की और उनका मुख्य कार्य तुलसी, भारतेन्दु तथा प्रेमचन्द से संबंधित है। प्रेमचन्द के पत्रों को बड़े श्रम से एकत्र किया जो दो भागों में ‘चिट्ठी-पत्री’ नाम से प्रकाशित है।

मदन गोपाल ने यूरोप, एशिया और अफ्रीका के अनेक देशों की यात्रा की है और पी.ई.एन. के पुराने सदस्य की हैसियत से उस संस्था के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशनों में कई बार भाग लिया। अँग्रेज़ी, हिन्‍दी और उर्दू के एक अनुभवी पत्रकार और लोकप्रिय लेखक के रूप में मदन गोपाल एक सुपरिचित नाम हैं। इस पुस्तक से पूर्व उनकी दो पुस्तकें- पहली, भारतीय विदेशनीति को लेकर ‘इंडिया एज़ ए वर्ल्ड पावर’ तथा दूसरी जो अफ्रीकी देशों के बारे में थी, राजकमल से प्रकाशित हुई थीं।

निधन : 16 दिसम्बर, 2008

 

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