Kahin Kuchh Nahin

As low as ₹112.50 Regular Price ₹125.00
You Save 10%
In stock
Only %1 left
SKU
Kahin Kuchh Nahin
- +

‘ख़ामोशी और कोलाहल के बीच की किसी जगह पर वह कहीं खड़ा है। और इस खेल का मज़ा ले रहा है। क्या सचमुच ख़ामोशी और कोलाहल के बीच कोई स्पेस था, जहाँ वह खड़ा था।'

उपर्युक्त पंक्तियाँ बहुचर्चित कथाकार शशिभूषण द्विवेदी की कहानी ‘काला गुलाब’ से हैं। ये ‘काला गुलाब’ जैसी जटिल संवेदना और संरचना की कहानी को 'डिकोड' करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। लेकिन उसके लेखक शशिभूषण द्विवेदी की रचनाशीलता को समझने का सूत्र भी उपलब्ध कराती हैं। वाक़ई शशिभूषण की कहानियाँ न तो यथार्थवाद और जीवन-जीवन का शोर मचाती हैं, न ही वे कला की चुप्पियाँ चुनती हैं। शशिभूषण इन दोनों के बीच हैं और ख़ामोशी के साथ जीवन के यथार्थ की चहल-पहल, उसकी रंग-बिरंगी छवियों को पकड़ते हैं। साथ ही वे जीवन के कोलाहल के बीच भी उसकी अदृश्य रेखाओं की खोज करते हैं—उसकी चुप ध्वनियों को सुनते हैं। बात शायद स्पष्ट नहीं हो सकी है, इसलिए शशिभूषण की ‘काला गुलाब’ से ही एक अन्य उदाहरण—‘लिखना आसान होता है। लिखते हुए रुक जाना मुश्किल। इसी मुश्किल में शायद ज़िन्दगी का रहस्य है।' लिखते-लिखते रुक जाने की मुश्किल उन्हीं रचनाकारों के सामने दरपेश होती है जो ख़ामोशी की आवाज़ सुनते हैं और कोलाहल की ख़ामोशी भी महसूस करते हैं। लेखक के लिए यह एक कठिन सिद्धि है, लेकिन सुखद है कि शशिभूषण इसे हासिल करते हुए दिखते हैं। बेशक उनकी यह उपलब्धि उन्हें मिले पुरस्कारों से कई-कई गुना महत्त्वपूर्ण है।

—अखिलेश

प्रसिद्ध कथाकार, सम्पादक—‘तद्भव’

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 143p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.2 X 1.4
Write Your Own Review
You're reviewing:Kahin Kuchh Nahin
Your Rating
Shashibhushan Dwivedi

Author: Shashibhushan Dwivedi

शशिभूषण द्विवेदी

1965 में जन्म। पेशे से पत्रकार। अरसा पहले एक कहानी-संग्रह और चार पुरस्कार। अरसे बाद यह दूसरा कहानी-संग्रह। कुछ देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद।

7 मई, 2020 को दिल का दौरा पड़ने से निधन।

Read More
Books by this Author
Back to Top