कहाँ से कहाँ’ में संकलित कहानियों में प्रवेश का रास्ता कविता से होकर निकलता है। यह रास्ता घर की तलाश करता है, लेकिन जाकर घर से नहीं मिलता।

पुस्तकें भी समाज को देखती हैं। आलोचक डॉ. राजेन्द्र मिश्र की यह बात सतीश जायसवाल की कहानियों के साथ लागू होकर इस तरह बन जाती है—सतीश की कहानियाँ भी समाज को देखती हैं...कथा त्रयी के एक प्रमुख स्तम्भ—कमलेश्वर का कहना है—सतीश की कहानियों में ‘नैरेशन’ आज भी बचा हुआ है...युवा कथाकार शशांक भी कुछ-कुछ यही बात कहते हैं—सतीश जायसवाल की कहानियों में ‘डिटेल्स’ ख़ूब उभरकर आते हैं? ये ‘डिटेल्स’ किसी एक विषय से बँधे हुए नहीं होते। इनमें ‘कैलिडोस्कोप’ के अँधेरे में खिलनेवाले रंग-बिरंगे फूलों का वैविध्य होता है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2001
Edition Year 2001, Ed. 1st
Pages 120p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Satish Jayaswal

सतीश जायसवाल

जन्म : 17 जून, 1942

शिक्षा : बी.कॉम.।

प्रमुख कृतियाँ : ‘जाने किस बन्‍दरगाह पर’, ‘कहाँ से कहाँ’ तथा ‘धूप-ताप’ (कहानी-संग्रह)। कहानियों के अतिरिक्त कविताएँ, यात्रा, संस्मरण, निबन्ध, समीक्षाएँ आदि प्रकाशित। एक नाटक भी मंचित।

छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के तटवर्ती अंचल में लोक-परम्परा की एक विशिष्ट शैली के चित्रांकन की खोज तथा नामकरण।

भिलाई स्थित पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ के अध्यक्ष।

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