Surya Ka Jalavtaran

Author: Satish Jayaswal
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Surya Ka Jalavtaran
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पूर्वोत्तर भारत की यात्राओं का यह वृत्तान्त-संकलन ‘सूर्य का जलावतरण’ हमें भारतीय राष्ट्र राज्य के उन क्षेत्रों से परिचित कराता है, जो अपने रहन-सहन, बोली-भाषा और संस्कृति के लिहाज से उस उत्तर व मध्य भारत से नितान्त भिन्न हैं, जिसे हम अपनी रोजमर्रा की निगाह से सम्पूर्ण भारत के रूप में देखने के आदी हैं।

इस पुस्तक से गुजरते हुए हमें एक बहु-सांस्कृतिक विराट भारत को जानने का अवसर मिलता है, और अपने उन लोगों को जानने का भी जो धर्म, रीति-रिवाज और वेशभूषा के फर्क के बावजूद भारत को सम्पूर्ण भारत बनाते हैं।

नगालैंड, जो म्यांमार के साथ अपनी सीमा साझा करता है और जहाँ दिन-भर साधारण नगा और बर्मी लोग सीमा के आर-पार अपनी छोटी-छोटी व्यापारिक गतिविधियाँ करते हैं, लेखक ने इस विवरण को बहुत नजदीक से देखकर यहाँ अंकित किया है।

इसी तरह मणिपुर की सीमाएँ भी म्यांमार से गुँथी हैं। असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम और सिक्किम भी अपनी तमाम विविधता और सौन्दर्य के  साथ इस पुस्तक में मौजूद हैं।

इन यात्रा-विवरणों में लेखक ने राजनीतिक विडम्बनाओं को भी नजरन्दाज नहीं किया है, जो इन क्षेत्रों में अकसर गम्भीर रूप लेती रही हैं। मसलन मणिपुर की वर्तमान समस्या।

लेकिन लेखक का खास जोर उस सौन्दर्य पर है जो यहाँ की प्रकृति और जन-जीवन में साक्षात् होता है; एक स्वप्निल सौन्दर्य जिसे हर कोई अपनी आँखों से देखना चाहेगा।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 214p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1
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Author: Satish Jayaswal

सतीश जायसवाल

जन्म : 17 जून, 1942

शिक्षा : बी.कॉम.।

प्रमुख कृतियाँ : ‘जाने किस बन्‍दरगाह पर’, ‘कहाँ से कहाँ’ तथा ‘धूप-ताप’ (कहानी-संग्रह)। कहानियों के अतिरिक्त कविताएँ, यात्रा, संस्मरण, निबन्ध, समीक्षाएँ आदि प्रकाशित। एक नाटक भी मंचित।

छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के तटवर्ती अंचल में लोक-परम्परा की एक विशिष्ट शैली के चित्रांकन की खोज तथा नामकरण।

भिलाई स्थित पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ के अध्यक्ष।

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