प्रत्येक समाज और राष्ट्र का अपना साहित्य है, परन्तु कुछ साहित्य अपनी गहरी और व्यापक अनुभूतियों के बल से राष्ट्रीय साहित्य की सीमाओं को लाँघकर अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्र में पहुँच जाता है।
उज़बेक लेखक अस्कद मुख़्तार का उपन्यास ‘बहिनें’ मुझे उसी श्रेणी की रचना जँची है।
मुख़्तार के उपन्यास में चित्रित उज़बेक समाज के जीवन और उनकी समस्याओं की छवि मुझे उत्तर भारत के जीवन से इतनी मिलती-जुलती लगी कि उसे अपनी भाषा के पाठकों को दे सकने के उत्साह को दबा नहीं सका।
उज़बेक उच्चारण की ध्वनि को बनाए रखने के लिए जुलैखाँ ही रहने दिया है।
—यशपाल
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Yashpal |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2015 |
Edition Year | 2015, Ed. 6th |
Pages | 296p |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 2 |