Jas Ka Phool

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प्रकट में तो यह उपन्यास एक हिन्दू लड़के और मुस्लिम लड़की की प्रेम कहानी है, जिसकी छोटे शहर से चलकर बड़े शहर तक की यात्रा रोमांच, रोमांस और इनके बीच जीवन-यथार्थ के अच्छे-बुरे और कड़वे-मीठे अनुभवों से गुज़रती है। अनचाहे, अनजाने ही ऐसी स्थिति बनती है कि नायक, वह हिन्दू लड़का दोस्तों के बीच शाहरुख़ और मुस्लिम लड़की यानी नायिका, काजोल के नाम से पुकारे जाने लगते हैं। यह एक आम घटना है जो अक्सर कहीं भी घटित होती है। प्रेम प्राय: असफलता से नालबद्ध है। अक्सर ऐसे प्रेम की परिणति हताशा की राह चलकर शराबख़ाने से होती हुई ‘देवदासीय मृत्यु’ है। लेकिन इस उपन्यास में प्रेम उस शक्तिपुंज की भाँति अदृश्य रूप से मौजूद है जो एक अर्द्धशिक्षित लड़के को फ़‍िल्मों जैसी आभासी दुनिया से बाहर लाकर तमाम हताशा, कुंठा और अभावों के बावजूद उसके भीतर के करुण मनुष्य को पूरी मानवीय मार्मिकता के साथ सुरक्षित रखता है। नायक शाहरुख़ प्रेम की उस तरल उपस्थिति के कारण ही अपनी विपरीत परिस्थितियों से प्रतिरोध की शक्ति हासिल करता है।

इसी के साथ उपन्यास में उसके वे तमाम दोस्त हैं जो हिन्दू-मुस्लिम होते हुए, और अपनी अशिक्षा के बावजूद, अपनी ज़रूरी मनुष्यता के साथ अपने अबोध मन की मार्मिक सांगिकता लिए मित्रता के लम्बे और अटूट रिश्तों से वचनबद्ध हैं। बाज़ार का क्रूर आगमन और भूमंडलीकरण द्वारा तेज़ी से बदलता समय समाज और रिश्तों को कैसे और कितनी तेज़ी से प्रभावित कर रहा है, इससे वे अनभिज्ञ हैं। यह भी हमारे समय का एक भयावह सच है, जो इस उपन्यास में कथ्यात्मक ज़रूरत के साथ मौजूद है।

पाठकों को यह दिलचस्प लगेगा कि इन पात्रों की उपस्थिति और अबोध जिज्ञासाएँ अपनी मासूमियत में एक ऐसा रोचक संसार भी रचती हैं जिसकी जटिलता से वे अनजान हैं। इस उपन्यास में व्यंग्य की एक समानान्‍तर धारा पात्रों की ‘मौलिक धज’ को प्रकट करने के कारण ज़रूरी थी, लेकिन वह सहज ही रोचक भी लगेगी। बहरहाल उक्त सामाजिक दबावों और विसंगतियों के अतिरिक्त यह उपन्यास प्रेम, अलगाव और नायक की ज़‍िन्‍दगी में आए अनचाहे सेक्स अनुभवों को भी रोचक भाषा के साथ प्रस्तुत करता है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 224p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Editorial Review

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Bhalchandra Joshi

Author: Bhalchandra Joshi

भालचन्द्र जोशी

17 अप्रैल, 1956 को जन्मे भालचन्द्र जोशी पेशे से इंजीनियर रहे हैं। आठवें दशक के उत्तरार्द्ध में कहानी लेखन की शुरुआत। आदिवासी जीवन पद्धति तथा कला का विशेष अध्ययन। निमाड़ की लोक-कलाओं और लोक-कथाओं पर काम। चित्रकला में रुचि। देश के प्रमुख अखबारों के लिए समसामयिक विषयों पर लेखन। कुछ समय तक लघु पत्रिका ‘यथार्थ’ का सम्पादन। इसके अतिरिक्त ‘कथादेश’ के नवलेखन अंक (जुलाई, 2002) एवं ‘पाखी’ के प्रेम विशेषांक (अगस्त-सितम्बर, 2020) का सम्पादन। टेलीविजन के लिए क्लासिक सीरीज में फिल्म लेखन। कुछ कहानियों का भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा में अनुवाद। 

आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘नींद से बाहर’, ‘पहाड़ों पर रात’, ‘चरसा’, ‘पालवा’, ‘जल में धूप’, ‘हत्या की पावन इच्छाएँ’ (कहानी-संग्रह); ‘यथार्थ की यात्रा’ (कथा-आलोचना); ‘प्रार्थना में पहाड़’, ‘जस का फूल’ (उपन्यास)। 

पुरस्कार : मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ‘वागीश्वरी पुरस्कार’, इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव सोसायटी, दिल्ली का वर्ष 2012 का ‘शब्द-साधक जनप्रिय लेखक सम्मान’, म.प्र. अभिनव कला परिषद भोपाल द्वारा ‘अभिनव शब्द-शिल्पी सम्मान’, जल में धूप कहानी-संग्रह के लिए 2013 का ‘स्पंदन कृति सम्मान’, हत्या की पावन इच्छाएँ कहानी-संग्रह के लिए 2014 का ‘शैलेश मटियानी कथा पुरस्कार’।

सम्पर्क : ‘एनी’, 13, एच.आई.जी. ओल्ड हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, जैतापुर, खरगोन–451 001 (म.प्र.)

ई-मेल : joshibhalchandra@yahoo.com

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