“प्रेम हम सबको बेहतर शहरी बनाता है। हम शहर के हर अनजान कोने का सम्मान करने लगते हैं। उन कोनों में ज़िन्दगी भर देते हैं....आप तभी एक शहर को नए सिरे से खोजते हैं जब प्रेम में होते हैं। और प्रेम में होना सिर्फ़ हाथ थामने का बहाना ढूँढ़ना नहीं होता। दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता रहता है। ‘लप्रेक’ उसी कशिश और टकराहट की पैदाइश है।”
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2015 |
Edition Year | 2021, Ed. 13th |
Pages | 90p |
Publisher | Sarthak (An imprint of Rajkamal Prakashan) |
Dimensions | 18 X 12 X 1 |