Hum Jo Nadiyon Ka Sangam Hein

Author: Bodhisatwa
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Hum Jo Nadiyon Ka Sangam Hein
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यह संग्रह अपनी कविताओं के तीव्र आवेग, भाव–विविधता एवं वस्तु–बहुलता के कारण महत्त्वपूर्ण माना जाएगा। बोधिसत्व की कविताएँ मानो अनेक नदियों का संगम हैं। लोकगीतों की ऊष्मा तथा रागात्मकता, वर्तमान जीवन के ‘दुख–तंत्र’ की कठोर प्रतीति और वैचारिक दृढ़ता एवं प्रतिरोध—इन सबके संयोग से ये कविताएँ हमारे लिए एक वैकल्पिक पाठ की सृष्टि करती हैं। ‘हाहाकार के बीच से गुज़रती’ इन कविताओं में दर्ज हैं ‘बेनूर आँखों के ख़्वाब’, ‘सिले होंठों की मुस्कुराहट’ और ‘बँधे हाथों की छटपटाहट’। लोकगीत और बोलियों की शक्ति का उपयोग, जिसके लिए बोधिसत्व की आरम्भिक कविताएँ चिह्नित की गई थीं, उनका अद्यतन रूप यहाँ मिलता है, कुछ ज्वाया और सख़्त।

इनमें बेचैन कर देनेवाली ऐन्द्रिकता है—‘ताज़े आटे की गर्मी थी उसकी ख़ुशी/वसन्त उसके लिए अब उखड़े नाखून की तरह है’। एक विरल करुणा और क्रोध। इनमें जीवन के प्रति समर्थन और लालसा है जैसे कि ‘ऐसा ही होता है’ कविता में, जो साधारण मनुष्य के दैनंदिन प्रेम को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है। ‘गंध’ शीर्षक कविता स्वयं बोधिसत्व की कविताओं में अलग से उल्लेखनीय है। यह एक बड़ी कविता है, हमारे जीवन की दारुण विपत्ति, विडम्बना एवं निजी और सामाजिक के सीमा–प्रदेश पर निरन्तर विद्यमान द्वन्द्व की कविता।

एक बात और—ये कविताएँ गहरे राजनैतिक आशय एवं नैतिक संकल्प की कविताएँ हैं। बोधिसत्व का ही शब्द लेकर कहें तो यह वह कविता है ‘जो समाज के हारे–गाढ़े काम दे’।

—अरुण कमल

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 87p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Bodhisatwa

Author: Bodhisatwa

बोधिसत्व

मूलनाम : अखिलेश कुमार मिश्र

जन्म : 11 दिसम्बर, 1968 को उत्तर प्रदेश के भदोही ज़‍िले के सुरियावाँ थाने के एक गाँव भिखारी रामपुर में जन्म।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की ही पाठशाला से। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. और वहीं से तार सप्तक के कवियों के काव्य-सिद्धान्त पर पीएच.डी. की उपाधि ली। यूजीसी के रिसर्च फ़ैलो रहे।

प्रकाशन : ‘सिर्फ़ कवि नहीं’ (1991), ‘हम जो नदियों का संगम हैं’ (2000), ‘दु:ख-तंत्र’ (2004), ‘ख़त्म नहीं होती बात’ (2010) ये चार कविता-संग्रह प्रकाशित हैं। ‘तारसप्तक-काव्य सिद्धान्त और कविता’ नामक शोध-प्रबन्ध (2011)। लम्बी कहानी ‘वृषोत्सर्ग’ (2005) प्रकाशित।

सम्‍पादन : ‘गुरवै नमः’ (2002), ‘भारत में अपहरण का इतिहास’ (2005), ‘रचना समय’ के ‘शमशेर जन्मशती’ अंक का सम्‍पादन (2010)।

प्रकाशनाधीन : ‘कविता की छाया में’ (लेख, समीक्षा और व्याख्या)।

अन्य लेखन : ‘शिखर’ (2005), ‘धर्म’ (2006) जैसी फ़‍िल्मों और दर्जनों टीवी धारावाहिकों का लेखन। 

सम्मान : कविता के लिए ‘भारतभूषण अग्रवाल पुरस्‍कार’, ‘गिरिजा कुमार माथुर सम्मान’, ‘संस्कृति अवार्ड’, ‘हेमन्‍त स्मृति सम्मान’, ‘फ़‍िराक़ सम्मान’, ‘शमशेर सम्मान’ आदि प्राप्त हैं।

विशेष : कुछ कविताएँ देशी-विदेशी भाषाओं में अनूदित हैं। कुछ कविताएँ मास्को विश्वविद्यालय के स्नातक के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती हैं। दो कविताएँ गोवा विश्व विद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल थीं।

फ़‍िलहाल : पिछले कई साल से मुम्बई में बसेरा है। सिनेमा, टेलीविज़न और पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखाई का काम।

ईमेल : abodham@gmail.com

ब्लॉग : http://vinay-patrika.blogspot.com

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