Ho Gayi Aadhi Raat

Author: Amitabh Bagchi
Translator: Prabhat Ranjan
Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Ho Gayi Aadhi Raat
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मनुष्य-मन की महीन पड़ताल और सामाजिक-राजनीतिक व मानवीय परिस्थितियों के बारीक तंतुजाल से जूझती भाषा, वह पहली चीज़ें हैं जो इस उपन्यास को एक यादगार अनुभव बनाती हैं। पात्रों और एक विस्तृत काल-खंड में फैली घटनाओं के सूक्ष्मतम घटकों तक पहुँचने की लेखक की साहसी आकांक्षा जो इस औपन्यासिक वितान की पंक्ति-पंक्ति में न्यस्त है वह इस अनुभव को और घनीभूत करती है। साथ ही आज़ादी के पहले और बाद के भारतीय समाज, और उसकी भावगत-मूल्यगत बनावट की संवेदनशील व सटीक समझ भी जो सहज ही इस पाठ को एक बड़ी रचना के रूप में स्थापित कर देती है।

कहानी लाला मोतीचंद और उसके तीन बेटों की है। बेटों में एक अपने पिता की तरह ही व्यावसायिक बुद्धि का धनी दीनानाथ है, दूसरा धन-संग्रह के प्रति नितांत उदासीन और कविहृदय दीवानचंद है और तीसरा मक्खन लाल जो आगरा में लाला के एजेंट किशोरी की पत्नी से हुआ है और विचारों से मार्क्स और भगतसिंह का अनुयायी है। इनकी कहानी के साथ ही जुड़ी है लाला मोतीचंद के सेवक मांगेराम और उसकी तीन पीढ़ियों की कहानी जिनका पुरुषार्थ लाला, उनकी हवेली और उनकी औलादों की सेवा के संदर्भ में साकार होता है। कथा

के इन दो छोरों के बीच एक कहानी पुरस्कारप्राप्त हिन्दी उपन्यासकार विश्वनाथ की भी है जो छोटे-छोटे टापुओं की तरह इस धारा के बीच-बीच में पत्रों की शक्ल में उभरती रहती है। अनुमान लगाया जा सकता है कि मुख्य कथा और उसके पात्र विश्वनाथ की ही रचना हैं और लेखक के रूप में उनके सफल और महत्वाकांक्षी लेकिन पिता और पति के रूप में उनके पश्चाताप-ग्रस्त जीवन का ही प्रतीकात्मक विस्तार हैं जो हिन्दी-उर्दू कविता के उद्धरणों के साथ इन पत्रों में खुलता चलता है।

इस गझिन परन्तु रोचक कथा-संकुल में हमें अपने समाज और देश का लगभग हर पहलू देखने को मिल जाता है। हमारा परिवार, उसकी सत्ता-संरचना, एक प्राचीन जातीय समूह के रूप में हमारी धार्मिक व नैतिक बुनावट, अलग-अलग तबकों के स्त्री-पुरुषों की नियति, संपत्ति की अवधारणा और उसके प्रति भारतीय मानस के विविधवर्णी और अंतर्विरोधी दृष्टिकोण, औपनिवेशिक भारत में व्यवसाय तथा उद्यमिता के स्वरूप और अंततः मनुष्य की नियति के लोमहर्षक आलेख, इन सबको हम इस उपन्यास के विराट कैनवस पर अपने तमाम संभव शेड्स के साथ चलते-फिरते देख पाते हैं। बिना किसी अतिरंजना के कहा जा सकता है कि यह एक परिपक्व भारतीय उपन्यास है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 296p
Translator Prabhat Ranjan
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Author: Amitabh Bagchi

अमिताभ बागची

अमिताभ बागची का जन्म सन् 1974 में दिल्ली में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा दिल्ली में ही हुई। आई.आई.टी., दिल्ली से बी.टेक. किया और जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय, अमेरिका से पी-एच.डी. की। उनके चार उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। पहला उपन्यास ‘एबव एवरेज’ बेस्टसेलर रहा है। दूसरा उपन्यास ‘द हाउसहोल्डर’ भी काफ़ी चर्चित हुआ। तीसरा उपन्यास ‘दिस प्लेस’ 2014 में ‘रेमंड क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड’ की शॉर्टलिस्ट में शामिल था। यह ‘डबलिन इम्पैक लिटरेरी प्राइज़’ 2015 के लिए भी नामित हुआ था। ‘हाफ़ द नाइट इज़ गॉन’ उनका चौथा उपन्यास है। जो हिन्दी में ‘हो गई आधी रात’ नाम से है। इस उपन्यास को 2019 में

दक्षिण एशिया का बहुप्रतिष्ठित ‘डीएससी पुरस्कार’ मिल चुका है। फ़िलहाल बागची दिल्ली में कार्यरत हैं।

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