Hindi Sufi Kavya Ka Samgra Anushilan

Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Hindi Sufi Kavya Ka Samgra Anushilan
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चौदहवीं शताब्दी ईसवी से लेकर 20वीं शताब्दी ईसवी तक के छह सौ वर्षों की सुदीर्घ अवधि में शताधिक सूफी काव्यों से हिन्दी-साहित्य समृद्ध हुआ है। साहित्य और संस्कृति की अनेकानेक धाराएँ हिन्दी सूफी काव्य में अनुस्यूत हैं। अनेक परम्पराओं, धर्म, दर्शनों, साधनाओं आदि ने सूफी काव्य को अनुप्राणित किया है। हिन्दी सूफी काव्य का अध्ययन स्वयं में अत्यन्त मनोरंजक और महत्त्वपूर्ण विषय है।
सूफी संतों ने धर्म और मजहब से ऊपर मनुष्यत्व का परिचय दिया है। इनके काव्यों में प्रेम-पीर की स्निग्ध पुकार है, विरह की प्रशान्त-गम्भीर तड़प है, आत्मसमर्पण का परम पुनीत आग्रह है। इसीलिए ये काव्य हमारे हृदयों को सहज ही छूकर झंकृत कर देते हैं। इन संतों का उद्देश्य संकीर्णताओं से ऊपर उठकर आत्मशुद्धि और जनजीवन में प्रेम-सन्देश का सम्प्रसार था। इसी उद्देश्य का सुफल सूफी काव्य है। सूफीमतवाद की विशेषता रही है कि वह कभी जीवन की उपेक्षा करके नहीं चला।
सूफी कवि सही अर्थों में जनकवि थे। उत्तरी हिन्दी के सूफी कवियों ने ठेठ अवधी– जनता की बोली को काव्य की भाषा के रूप में प्रतिष्ठित किया है। पन्द्रहवीं शताब्दी ईसवी से बीसवीं शताब्दी ईसवी तक की जीवन्त अवधी भाषा इनके काव्य का आधार- शृंगार है।
इस पुस्तक में एक नवीन दृष्टि से हिन्दी सूफी काव्यों पर विचार किया गया है। फारसी में लिखे गए प्रमुख सूफी काव्यों और अंग्रेजी-फारसी-उर्दू में लिखे गए इस विषय के प्रामाणिक ग्रन्थों के अध्ययन के अनन्तर ही लेखक ने इस शोध-कार्य को सम्पन्न ​किया। काव्य-परम्परा, प्रबन्ध-योजना, प्रतीक पद्धति, उपमान, कथानक-रूढ़ि, अध्यात्म और दर्शन आदि के फारसी, अरबी और भारतीय मूल प्रेरणास्रोतों का सन्धान करके और उन्हें दृष्टिपथ में रख करके किए गए इस अध्ययन (और निकाले गए निष्कर्षों) से हिन्दी सूफी काव्य-विषयक अनेक भ्रान्त धारणाओं का निराकरण भी लेखक ने किया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 440p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
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Author: Shivsahay Pathak

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