Hindi Natak Ke Paanch Dashak-Hard Cover

Author: Kusum Khemani
Special Price ₹845.75 Regular Price ₹995.00
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ISBN:9788183614375
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हिन्दी रंगमंच की परम्परा सन् 1880 में पारसी थिएटर के माध्यम से आरम्भ होकर 1930 में समाप्त मानी जाती है, लेकिन स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी नाटकों के इतिहास में रंगमंचीय नाटकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी नाटकों का आधुनिक दृष्टि से मूल्यांकन करने के लिए भाव-बोध और शिल्पबोध, इन दोनों ही पहलुओं का अध्ययन आवश्यक है।

इस पुस्तक में समकालीन रंग-परिदृश्य के सन्दर्भ में स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी नाटकों में निहित आधुनिकता-बोध का अध्ययन, विवेचन और विश्लेषण किया गया है, और हिन्दी रंग-नाटक की विशिष्ट उपलब्धियों एवं सम्भावनाओं को भारतीय और पाश्चात्य रंगमंचीय सन्दर्भों में जाँचने-परखने की कोशिश भी है।

आधुनिक हिन्दी नाटक की प्रमुख विशेषताओं और प्रवृत्तियों के रेखांकन के साथ अन्तिम दो अध्यायों में प्रस्तुत ‘रंगानुभूति और रंगमंचीय परिवेश’ तथा ‘रंग-भाषा की तलाश : उपलब्धि और सम्भावना’ जैसे अत्यन्त महत्‍त्वपूर्ण, प्रासंगिक और जटिल विषयों के विवेचन नाटक के गम्भीर अध्येताओं के साथ-साथ शायद रंगकर्मियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होंगे।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2022, Ed. 3rd
Pages 272p
Price ₹995.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Kusum Khemani

Author: Kusum Khemani

डॉ. कुसुम खेमानी

जन्म : 19 सितम्बर, 1944

शिक्षा : एम.ए. (प्रथम श्रेणी), पीएच.डी., कलकत्ता विश्वविद्यालय।

प्रकाशन : ‘सचित्र हिन्दी बालकोश’, ‘हिन्दी-अॅंग्रेज़ी बालकोश’ (कोश); ‘हिन्दी नाटक के पाँच दशक’ (आलोचना); ‘सच कहती कहानियाँ’, ‘एक अचम्भा प्रेम’, ‘अनुगूँज ज़िन्दगी की’ (कहानी-संग्रह); ‘एक शख़्स कहानी-सा’ (जीवनी); ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ (यात्रा-वृत्तान्त); ‘कुछ रेत...कुछ सीपियाँ...विचारों की’ (ललित निबन्ध); ‘लावण्यदेवी’, ‘जड़िया बाई’ (उपन्यास)।

अनुवाद एवं सम्पादन : ‘जन-अरण्य’ (उपन्यास, शंकर), ‘चश्मा बदल जाता है’ (उपन्यास, आशापूर्णा देवी), ज्योतिर्मयी देवी के कहानी-संग्रह का अनुवाद एवं सम्पादन, ‘वागर्थ’ का सम्पादन। ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास का अॅंग्रेज़ी, बांग्ला, नेपाली एवं मलयालम में अनुवाद। ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ बांग्ला, राजस्थानी एवं मलयालम में प्रकाशित। ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास का तमिल में डॉ. एन. जयश्री द्वारा एवं तेलुगू में लावण्य नारला द्वारा शोध एवं अनुवाद।

‘सच कहती कहानियाँ’ की कथाभाषा पर डॉ. सुहासिनी (तमिल), करमजीत कौर (पंजाबी), विनीता सिंह (हिन्दी) एवं अंजना कुकरैती (कन्नड़) द्वारा शोध। ‘रश्मिरथी माँ’ कहानी पर बांग्ला में टेलीफ़िल्म का निर्माण। ‘साहित्य में उच्च मूल्यों की स्थापना’ (सन्दर्भ : ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास) विषय पर औरंगाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा सेमिनार आयोजित।

सम्मान : ‘कुसुमांजलि साहित्य सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘हरियाणा गौरव सम्मान’, ‘भारत निर्माण सम्मान’, ‘रत्नादेवी गोयनका वाग्देवी पुरस्कार’, ‘पश्चिम बंग प्रान्तीय मारवाड़ी सम्मेलन पुरस्कार’, ‘कौमी एकता पुरस्कार’, ‘भारत गौरव सम्मान’, ‘समाज बन्धु पुरस्कार’ आदि।

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