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Hindi Ki Pahali Adhunik Kavita-Paper Back

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यह पुस्तक उन बाबू महेश नारायण और उनकी कविता 'स्वप्न’ पर केन्द्रित है जिन्हें बिहार में राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और आर्थिक आन्दोलनों का अग्रदूत माना जाता है। बिहार को स्वतंत्र राज्य की हैसियत से प्रगति-पथ पर चलते देखने का सपना जिन लोगों ने सबसे पहले बुना—महेश नारायण उनमें अग्रणी थे।

लेकिन इस पुस्तक का विषय उनकी लम्बी कविता 'स्वप्न’ है जिसे लेखिका ने खड़ी बोली हिन्दी की पहली आधुनिक कविता मानते हुए न सिर्फ उसके प्रमाण प्रस्तुत किए हैं, बल्कि विस्तृत वैचारिक उद्यम से इस सन्दर्भ में पर्याप्त तर्क भी जुटाए हैं। आधुनिक हिन्दी कहाँ से अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कहना शुरू करती है, इतिहास के इस मोड़ को चिह्नित करते हुए लेखिका इस बात पर जोर देती है कि भले ही अवधी और ब्रज आदि में लिखे जा रहे काव्य को इतिहासकार हिन्दी कविता मानते रहे हों, लेकिन खड़ी बोली के रूप में विकसित होनेवाली आधुनिक हिन्दी में कविता का आरम्भ कहाँ से होता है, यह जानना भी हमारे लिए अत्यन्त जरूरी है। बीसवीं सदी में जो हिन्दी सोचने-गुनने वाले हिन्दी समाज की भाषा बनी, उसके सम्मान के लिए भी ऐसा करना आवश्यक है।

'स्वप्न’ जो 'बिहार बंधु’ पत्र में 13 अक्टूबर, 1881 से 15 सितम्बर, 1881 तक धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुई, वह कविता है जिसमें पहली बार न सिर्फ शिल्प के स्तर पर एक बड़ा परिवर्तन दिखाई दिया, बल्कि स्वाधीनता आन्दोलन और उसके प्रिज़्म से दिखती भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक दशा को भी इसमें रेखांकित किया गया। पुस्तक में इस कविता के विभिन्न पाठों के अध्ययन के बाद एक प्रामाणिक और शुद्धतर पाठ भी प्रस्तुत किया गया है, जिसे पढ़कर पाठक स्वयं अनुमान लगा पाएँगे कि 'स्वप्न’ को हिन्दी की पहली आधुनिक कविता क्यों मानना चाहिए!

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 1st
Pages 174p
Price ₹199.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Author: Sudipti

सुदीप्ति

सुदीप्ति का जन्म 1980 में बिहार के सिवान जिले के जलालपुर (तरवारा) गाँव में हुआ। आरम्भिक पढाई अपने जिले में महाराजगंज से करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए पटना चली गईं। वहाँ पटना वीमेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) से हिन्दी साहित्य में एम.ए. और एम.फिल. की पढ़ाई पूरी की। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखते हुए वहीं इन्होंने महेश नारायण की कविता 'स्वप्न’ का शोधपरक अध्ययन किया। इतिहास, पुराकथाओं और भारतीय स्त्री-जीवन पर अतिवादों से बचते हुए एक अलग जमीन पर सोचने-विचारने और लिखनेवाली सुदीप्ति हिंदी भाषा साहित्य के शिक्षण से जुड़ी हैं। अजमेर के मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल में दस वर्षों तक अध्यापन करने के पश्चात वर्तमान में दिल्ली के प्रतिष्ठित संस्थान सरदार पटेल विद्यालय में पढ़ा रही हैं।

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