Hindi Kahani Vaya Alochana-Text Book

Author: Neeraj Khare
ISBN: 9789393603197
Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
₹450.00
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9789393603197
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बीसवीं शताब्दी की समय-गाथा हिन्दी कहानी की गौरवमयी विरासत और विस्मयकारी विस्तार में मौजूद है। उसके विभिन्न मुकाम, उपलब्धियों और कहानीकारों के मूल्यांकन पर अनेक पुस्तकें हैं। लोकप्रिय विधा कहानी की आलोचना परम्परा भी विकसित हुई। ऐसे प्रयासों से कहानी आलोचना का नया सौंदर्यशास्त्र निर्मित हुआ। प्रायः उनमें कथा प्रवृत्तियों, कहानियों के उल्लेख और कहानीकारों पर सघन विवेचन तो हैं, पर कहानियों के एकल पाठ यानी उन पर एकाग्र आलोचनाएँ कम ही हैं। नीरज खरे द्वारा सम्पादित ‘हिन्दी कहानी वाया आलोचना’ कहानी आलोचना की ऐसी पहली किताब है, जिसमें बीसवीं सदी की सत्तर प्रतिनिधि कहानियों पर अलग-अलग आलोचनाएँ एक साथ हैं। हिन्दी कहानी के आरम्भिक काल, विभिन्न पड़ाव, नई कहानी, साठोत्तरी आन्दोलन और उत्तर सदी में मुक्त प्रवाह के मुताबिक़ किताब के तीन खंड हैं—‘बढ़ते क़दमों के निशान’, ‘कहानी : नई होने की डगर’ तथा ‘कहानी : साठोत्तरी और उत्तर सदी’। इन खंडों में क्रमशः रखी गई आलोचनाएँ पैंतालीस लेखकों की विचार-दृष्टि और लेखन दक्षता का प्रतिफल हैं—जिनमें कहानियों के नए मूल्यांकन और आलोचना-पद्धतियों के बदलाव भी परिलक्षित हैं।

सम्पादक ने लम्बी भूमिका में विधागत प्रवाह पर अत्यन्त सतर्क नज़र रखी है—जिससे ‘बीसवीं सदी की हिन्दी कहानी परम्परा’ का सुव्यवस्थित संज्ञान, प्रवृत्तियों की पहचान या संकलित आलोचनाओं तक जाने का कोई रास्ता या सूत्र भी हासिल हो जाता है। पिछले दो दशकों से कथालोचना में नीरज खरे की सक्रिय उपस्थिति रही है। इस पूरे उपक्रम में उनकी आलोचकीय समझदारी और सम्पादकीय अभिरुचि प्रतिबिम्बित है। आलोच्य कहानियाँ एक सदी के सफ़र की नुमाइंदगी करती हैं और अनेक विश्वविद्यालयों के स्नातक या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में भी शामिल हैं। आलोचना की ऐसी किताब का अभाव लम्बे समय से महसूस किया जा रहा था; जिसमें परम्परा की प्रतिनिधि कहानियों पर मुकम्मल विचार हो। बीसवीं सदी की यात्रा में कहानी की रचना मुद्रा, संरचना के बदलाव और संवेदना के परिवर्तन ग़ौरतलब हैं। इसीलिए बेहतर और बोधगम्य आलोचनाओं का यह सुविचारित चयन समावेशी है। कहानी के पाठकों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों और अध्येताओं के लिए उनकी ज़रूरतों, रुचियों और उद्देश्यों के मुताबिक़ यह किताब बहुउपयोगी ही नहीं; अत्यन्त सार्थक और स्थायी महत्त्व की है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2022
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 488p
Price ₹450.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Neeraj Khare

Author: Neeraj Khare

नीरज खरे

नीरज खरे का जन्म 1 दिसम्बर, 1969 को अजयगढ़, जिला—पन्ना, मध्य प्रदेश में हुआ। यहीं विद्यालयीन शिक्षा हुई। डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर मध्य प्रदेश से भौतिकी में एम. एससी. के बाद हिन्दी में एम.ए. और पीएच.डी., संचार एवं पत्रकारिता में बी.सी.जे. एवं एम.जे.सी. किया। यहीं 1998 से कुछ वर्ष अस्थायी पद पर अध्यापक रहे। 2005 से बी.एच.यू. के हिन्दी विभाग में अध्यापन प्रारम्भ।

प्रकाशित आलोचना पुस्तकें—‘बीसवीं सदी के अन्त में हिन्दी कहानी’, ‘कहानी का बदलता परिदृश्य’ और ‘आलोचना के रंग’।

प्रेमचन्द शोध संस्थान, लमही (वाराणसी) में बतौर सदस्य कार्य करते हुए ‘प्रेमचन्द और हमारा समय’ किताब का सह-संपादन। हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कथा-आलोचना केन्द्रित निरन्तर लेखन। कुछ कविताएँ और एक कहानी भी प्रकाशित। सम्पादित पुस्तकों में कुछ लेख। सागर में कुछ वर्ष पत्रकारिता।

‘आलोचना के रंग’ की पांडुलिपि पर साहित्य भंडार तथा मीरा फाउन्डेशन, इलाहाबाद का ‘मीरा स्मृति पुरस्कार-2017’ और आलोचना कर्म के लिए स्पंदन संस्था, भोपाल का ‘स्पंदन आलोचना सम्मान-2022’।

सम्प्रति : प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी–221 005

ईमेल : neerajkharebhu@gmail.com

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