क़ामयाब पति, दो-दो बुद्धिमान बेटे और अपनी घर-गृहस्थी में डूबी अदिति, उम्र के चालीसवें के मध्य तक पहुँचते-पहुँचते अचानक महसूस करती है कि वह भयंकर अकेली है। पति अपनी नौकरी में व्यस्त है, दोनों बेटे भी अपने-अपने आकाश में पंख फैलाए उड़ने लगे हैं। अकेली अदिति अब अपने दिन या तो अपने आपसे या पिंजरे की मैना से बातें करती हुई गुज़ारती है। उन्हीं दिनों उसकी ज़िन्दगी में हेमेन मामा दाख़िल होते हैं, उन्हीं की प्रेरणा से जाग उठती है—एक नई अदिति धीरे-धीरे वह अपनी रची-गढ़ी दुनिया में मग्न हो जाती है। ब्याह से पहले वह लेखन के क, ख, ग से परिचित हो चुकी थी। अब वह दुबारा लिखना शुरू करती है। अब जब वह अपने पति, सन्तान और गृहस्थी को नई निगाह से तौलना-परखना शुरू कर देती है, तो शुरू होता है—ज़बर्दस्त टकराव। भयंकर दर्द के काले बादल घिर आते हैं।

अदिति क्या सिर्फ़ सुप्रतिम की पत्नी-भर है? मात्रा बच्चों की माँ है? वह क्या सिर्फ़ ख़ून-मांस की मशीन-भर है, जिससे सिर्फ़ यह अपेक्षित है कि बेहद सहज-स्वाभाविक तरीक़े से गृहस्थी की गाड़ी आगे बढ़ाती रहे? इस दायरे से बाहर क्या अदिति का कोई अस्तित्व नहीं?

सुचित्रा भट्टाचार्य की सशक्त क़लम ने ‘हेमन्त का पंछी’ में औरत के इसी सच की बेचैन तलाश को उकेरा है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2003
Edition Year 2003, Ed. 1st
Pages 154p
Translator Vimal Mishra
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Suchitra Bhattacharya

Author: Suchitra Bhattacharya

सुचित्रा भट्टाचार्य

जन्म : 10 जनवरी, 1950

कॉलेज जीवन में ही विवाह। सरकारी नौकरी।

बचपन से ही साहित्य से गहरा लगाव। सन् ’60 के दशक के उत्तरार्द्ध में लेखन की शुरुआत। जीवन के विविध पक्षों और समस्याओं पर सशक्त पकड़ रखने के साथ-साथ, ख़ासकर औरत की व्यथा-कथा, समस्या, यंत्रणा और उपलब्धियों की जीवन्त तसवीर आँकने में विशेष सिद्धहस्त। उनका लेखन इनसानी रिश्तों और उनकी आपसी जटिलताओं की बार-बार वकालत करता है।

प्रमुख कृतियाँ : ‘मैं हूँ रायकिशोरी’, ‘हेमन्त का पंछी’, ‘ध्वंसकाल’, ‘दहन’, ‘परदेस’, ‘अपने लोग’  (उपन्यास); ‘खाँचा’, ‘मैना-तदन्त’, ‘एइ माया’ (कहानी-संग्रह)।

‘यही है ज़िन्दगी...’ उपन्यास ‘देश’ पत्रिका में धारावाहिक रूप में प्रकाशित। बहुचर्चित और बहुप्रशंसित। कई कृतियों पर फ़ि‍ल्‍म एवं टीवी सीरियल का निर्माण। विभिन्‍न देशी-विदेशी भाषाओं में अनेक रचनाएँ अनूदित।

सम्मान : ‘नंजनगुडु तिरुमलम्बा पुरस्कार’, ‘ताराशंकर पुरस्कार’, ‘साहित्य सेतु पुरस्कार’, ‘कथा पुरस्कार’ आदि कई पुरस्कारों से सम्मानित।

निधन : 12 मई, 2015

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