Harf-E-Awara-Paper Back

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बहुत से लोग हैं जो अपने आपको लफ़्ज़ देने के लिए शा'इरी इख़्तियार करते हैं मगर कुछ ख़ुशक़िस्मत ऐसे भी हैं जिन्हें ख़ुद शा'इरी अपने आपको ज़ाहिर करने के लिए चुनती है। अभिषेक उन्हीं चन्द ख़ुशक़िस्मतों में शामिल हैं जिन्हें शा'इरी ने इस ज़माने में अपना तर्जुमान मुक़र्रर किया है। ख़ामोशी अभिषेक की शा'इरी की जन्मभूमि है। उसके पास से ख़ामोशी की ख़ुशबू और आँच आती है कि उसके अन्दर तज्रबों का एक आतिशख़ाना है जो एक बाग़ की तरह खिला हुआ है। ख़ामोशी उसका चाक भी है जिस पर वो लफ़्ज़ों की कच्ची मिट्टी से मा'नी की शक्लें बनाता है। अभिषेक ने ये मिट्टी अपनी ज़ात और ज़माने के जिस्म और रूह के तज्रबों को गूँधकर तैयार की है। ये मिट्टी उसकी अपनी है और उससे बनाई जानेवाली सूरतें भी।

—फ़रहत एहसास

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 152p
Price ₹160.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 14 X 1
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Abhishek Shukla

Author: Abhishek Shukla

अभिषेक शुक्ला

14 सितम्बर, 1985 को जन्मे अभिषेक शुक्ला का बचपन ग़ाज़ीपुर और फिर लखनऊ में गुज़रा। यहीं रहते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय से इन्होंने एम.कॉम. की डिग्री हासिल की। अस्मा सलीम इन्हें 'निरा शाइर' कहती हैं जिसका अक़ीदा भरपूर इश्क़, भरपूर ज़िन्दगी और भरपूर शाइरी पर है। शाइरी के साथ-साथ इन दिनों हज़रत अपने चुस्त और चुटीले व्यंग्य-लेखन के लिए भी चर्चा में हैं, लखनऊ की गलियों में ख़ाक उड़ाते पाए जाते हैं और भारतीय स्टेट बैंक की मुलाज़िमत में जान और वक़्त निकाल रहे हैं। अभिषेक से उनके ईमेल : shaharyar.abhishek@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है।

 

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