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Hansti Hui Laraki-Hard Cover

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9788183616447
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निर्मला ठाकुर की कविताएँ यह कहना चाहती हैं कि अनुभव रचना का एक ज़रूरी तत्त्व है। जीवनानुभव की रोशनी में बाहरी दुनिया को देखते हुए उन्होंने कविताओं को आकार दिया है। 'हँसती हुई लड़की' का केन्द्रीय सरोकार स्त्री है। स्त्री की बहुतेरी छवियाँ हैं। यहाँ जीवन का मार्मिक विस्तार है। ‘रूप—कई रूप’ कविता में ’नन्ही/मुन्नी दँतुली में हँसी—दूध की' से लेकर सन्ध्या की देहरी तक आ पहुँची स्त्री-जिजीविषा का वर्णन है। निर्मला ठाकुर ने बहुत संजीदगी के साथ आधी आबादी के संघर्षों व स्वप्नों को चित्रित किया है। ‘औरत की दुनिया’ इस सन्दर्भ में ख़ासतौर पर पढ़ी जानी चाहिए।

इन कविताओं का सशक्त पक्ष है ‘अबूझ की समझ’। यही कारण है कि इनमें सुसंवेद्य पारदर्शिता है। ‘बर्तन माँजती हुई स्त्री की फलश्रुति है—इधर देखो/मुखातिब हो ज़रा हमसे/मुख पर कौन सी छाया घनेरी/लिए बैठी हो/उठो न/चेहरा इधर कर/ऊपर उठाओ/समय का दर्पण तुम्हारे सामने है।’ कवयित्री ने स्त्री-जीवन के कोलाहल और अकेलेपन की शिनाख़्त की है।

रिश्ते, प्रकृति, रूपबोध व जनजीवन आदि कविताओं में शामिल हैं। 'स्वर्ग सुख' कविता पढ़कर निराला की वह ‘तोड़ती पत्थर’ याद आ सकती है। ‘जो करना’ आत्मकथात्मक है और बेहद मार्मिक।

भाषा-शिल्प की सहजता में विन्यस्त ये कविताएँ एक संवेदनशील मन का आईना हैं।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Edition Year 2014
Pages 96p
Price ₹200.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5
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Nirmala Thakur

Author: Nirmala Thakur

निर्मला ठाकुर

जन्म : 1942 महुई, आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश)।
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य), इलाहाबाद विश्वविद्यालय, (1962)।
सन् ’60 के आसपास काव्य-रचना की शुरुआत। ‘नई कविता’, ‘धर्मयुग , ‘लहर’, ‘कल्पना’, ‘युगवाणी’, ‘झंकार’ व ‘कृति’ आदि पत्रिकाओं में छपकर कविताओं ने प्रशंसा पाई। ‘कई रूप, कई रंग’ कविता-संग्रह प्रकाशित।
कार्य : आकाशवाणी (इलाहाबाद) ए.एस.डी. से सन् 2002 में सेवानिवृत्त।
निधन : 20 नवम्बर, 2014

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