Haar Na Mane Veer

Author: Dronveer Kohli
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Haar Na Mane Veer
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प्राचीन काल में दक्षिण यूनान में ट्रोयज़ीन नाम की एक नगरी थी। इस नगरी में थीसियस नाम का वीर बालक रहता था। ‘हार न माने वीर’ उसी बालक की कहानी है। इस कहानी के चित्रों को चंचल ने रेखांकित किया है। वीर बालक की यह कहानी जिजीविषा की महत्ता को बच्चों के सामने प्रस्तुत करती है। अनूठा कथानक और सरल संवाद शैली इस पुस्तक को पठनीय बनाते हैं।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 32p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 16 X 0.2
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Dronveer Kohli

Author: Dronveer Kohli

द्रोणवीर कोहली

जन्म : 1932 में रावलपिंडी के निकट एक दुर्गम एवं उपेक्षित ग्रामीण परिवार में हुआ। देश विभाजन के उपरान्त वह दिल्ली आए जहाँ इनकी किशोरावस्था बीती और शिक्षा-दीक्षा हुई।

भारतीय सूचना सेवा के अन्तर्गत विभिन्न पदों पर काम करते हुए इन्होंने ‘आजकल’ साहित्यिक मासिक एवं ‘बाल भारती’ तथा तेरह भाषाओं में प्रकाशित ‘सैनिक समाचार’ का सम्पादन किया। कुछ समय के लिए वह आकाशवाणी में वरिष्ठ संवाददाता तथा बाद में हिन्दी समाचार विभाग के प्रभारी सम्पादक भी रहे।

इनके ग्यारह मौलिक उपन्यासों : ‘चौखट’, ‘मुल्क अवाणों का’ तथा ‘आँगन-कोठा संयुक्त’, ‘तकसीम’, ‘वाह कैंप’, ‘नानी’, ‘ध्रुवसत्य’, ‘टप्पर गाड़ी’, ‘खाड़ी में खुलती खिड़की’, ‘पोटली के अलावा’ उन्होंने कई पुस्तकों का अनुवाद भी किया है : फ्रेंच लेखक ज़ोला का ‘उम्मीद है आएगा वह दिन’, स्वीडिश उपन्यास ‘डॉक्टर ग्लास’ सम्मिलित हैं। इनमें बच्चों के लिए भी अनेक पुस्तकें शामिल हैं।

द्रोणवीर जाने-माने उपन्यासकार, कथाकार, सम्पादक और अनुवादक ही नहीं, वे निर्भीक पत्रकार भी रहे। ‘बुनियाद अली की बेदिल दिल्ली’, ‘हाइड पार्क’ एवं ‘राजघाट पर राजनेता’ जैसी पुस्तकें तथा ‘धर्मयुग’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘सारिका’ जैसी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित इनके रोचक रिपोर्ताज और इन्टरव्यू दिलचस्पी से पढ़े जाते थे।

निधन : 24 जनवरी, 2012

 

 

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