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Ghar Ki Aurten Aur Chand-Hard Cover

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9788183619844
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रेणु हुसैन की कविताओं की जो दुनिया है, उसकी केन्द्रीय धुरी है प्रेम। उनकी कविताओं के विषय अपनी पूरी विविधताओं के बावजूद घूम-फिर कर इसी धुरी पर लौट आते हैं लेकिन प्रेम की यह धुरी किसी भी मायने में एकांगी या एकरूपीय नहीं है, बल्कि अपनी पूरी सघनता और विस्तार के साथ बहुआयामी और बहुरूपीय है। आज के समय में जब प्रेम की चारों तरफ़ से घेरा जा रहा है। ‘लव जेहाद’ जैसे फ्रेज़ेज का सायास निर्माण किया जा रहा है, यहाँ प्रेम से पोषित रेणु हुसैन की ये कविताएँ व्यवस्था तथा ऐसे शब्दों के समक्ष मुस्कुराती हुई दिखाई देती हैं। रेणु हुसैन की कविताओं की एक दूसरी धुरी है घर और स्‍त्री। बात चाहे जो हो रेणु जी की कविताओं में घूमघामकर घर और स्‍त्री आ ही जाते हैं। लेकिन उनकी कविताओं में स्‍त्री जितना घर के भीतर है, उतनी वह घर के बाहर नहीं है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि घर के भीतर की स्‍त्री घर के बाहर नहीं देखती। देखती है लेकिन कम देखती है, मगर जब देखती है तो उसका फ़लक बहुत विस्तृत होता है। इस संग्रह में बहुत-सी कविताएँ इस बात का सशक्त उदाहरण हैं। घर और स्‍त्री से जुड़ी रेणु जी की कविताएँ इस बात का पता देती हैं कि घर के भीतर स्‍त्री जितनी है उतना ही स्‍त्री के भीतर घर। लेकिन रेणु जी की कविताओं में घर और स्‍त्री का यह सम्बन्‍ध उन अर्थों में बिल्कुल नहीं है जिन अर्थों में वह जाना जाता है। इन कविताओं में घर बिल्कुल अलग तरीक़े से आता है। अगर घर कहीं किसी रूप में स्‍त्री को बाँध रहा है तो उतना ही वह उसे आज़ाद भी कर रहा है। स्‍त्री जितना घर के बाहर जाती है, उतना ही लौटकर घर में वापिस आती है लेकिन अपनी पूरी ठसक, आज़ादी और सम्मान के साथ। ऐसा लगता है कि जैसे स्‍त्री और घर दोनों एक दूसरे के भीतर लगातार यात्रा कर रहे हैं। लेकिन इस यात्रा में स्‍त्री लगातार घर से आगे निकलती दिखाई देती है। रेणु हुसैन की कविताओं को देखकर लगता है कि जैसे पेड़ में पत्ते फूटते हैं और फूल आते हैं, ठीक उसी तरह ये कविताएँ काग़ज़ पर चली आई हैं। इन कविताओं में छलक पड़ता और सजीव हो उठता-सा रोमानीपन लगातार हमें अपनी तरफ़ खींचता है। इन कविताओं की भाषा में एक अलग क़िस्म का नयापन और अनोखापन है जो मुसलसल एक वाक्य से दूसरे में गूँजता और दृश्यमान होता हुआ दिखाई देता है। उनकी कविताएँ पढ़ते हुए लगातार ऐसा लगता रहता है मानो शब्द और वाक्य कवयित्री ने चुने नहीं हैं, बल्कि वे चुन लिए गए हैं भावों के द्वारा अपनी अभिव्यक्ति के लिए। रेणु हुसैन की कविताएँ और उनकी भाषा हमें इस बात का पता देती हैं कि ये रेणु हुसैन की कविताएँ हैं और रेणु हुसैन की भाषा। —रजनी अनुरागी

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 1st
Pages 160p
Price ₹395.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Renu Hussain

Author: Renu Hussain

अपने दो कविता-संग्रहों ‘पानी-प्यार’ और ‘जैसे’ से साहित्य जगत में एक अलग पहचान बना चुकी रेणु हुसैन दिल्ली सरकार के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अंग्रेज़ी की वरिष्ठ अध्यापिका हैं। रेणु हुसैन की कविताएँ हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।

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