Feature Lekhan : Swarup Aur Shilpa

You Save 10%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Feature Lekhan : Swarup Aur Shilpa

माखनलाल चतुर्वेदी कवि थे, नाटककार थे, निबन्ध लेखक भी थे, अर्थात् उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अपनी क़लम चलाई थी। वे देश की स्वतंत्रता के लिए लेखनी चलानेवाले एक अग्रणी पत्रकार भी थे। उनकी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। साहित्य और पत्रकारिता का यह संगम हमारी परम्परा में हमेशा रहा है। फिर भी यह दुर्भाग्य की बात है कि आजकल पत्रकारिता और साहित्य को दो अलग-अलग खाँचों में बाँटा जाता है। इस विभाजक रेखा को भी लाँघनेवाली विधाएँ हैं। उनमें से कुछ हैं—फ़ीचर, रिपोर्ताज, यात्रा-वृत्तान्त एवं संस्मरण।

इस पुस्तक के ज़रिए फ़ीचर लेखन के कौशल को सरल ढंग से पेश करने की कोशिश की गई है। उम्मीद है कि इससे पाठक साहित्य और पत्रकारिता की विभाजक रेखा को जोड़कर इन दोनों के सम्मिश्रण को नए सिरे से स्थापित कर सकेंगे। फ़ीचर लेखन जितनी अधिक मात्रा में होगा, उतनी ही मात्रा में साहित्य और पत्रकारिता को जनमानस में भी जुड़ा हुआ देखने की प्रवृत्ति विकसित होगी।

डॉ. मनोहर प्रभाकर ने, जो स्वयं उच्च कोटि के फ़ीचर लेखक रहे हैं और जिन्होंने ‘राजस्थान पत्रिका’, ‘नवज्योति’ एवं अन्य समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अपने लेखन कौशल को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है, इस पुस्तक में अपने अनुभवों का सार इस ढंग से प्रस्तुत किया है कि उसे सरलता से व्यवहार में लाया जा सके।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1992
Edition Year 2024, Ed. 5th
Pages 124p
Translator Not Selected
Editor Arvind Chaturvedi
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Feature Lekhan : Swarup Aur Shilpa
Your Rating
Manohar Prabhakar

Author: Manohar Prabhakar

मनोहर प्रभाकर

हिन्दी एवं अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त डॉ. मनोहर प्रभाकर ने राजस्थान में हिन्दी पत्रकारिता विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशक के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद लगभग आठ वर्ष तक जयपुर से प्रकाशित दैनिक ‘राजस्थान पत्रिका’ में सम्पादक (मैगजीन्स) के पद पर कार्य किया।

साहित्य एवं पत्रकारिता विषयक इनकी दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हैं। डॉ. प्रभाकर पत्रकारिता की मौलिक पुस्तकों पर भारत सरकार के ‘भारतेन्दु पुरस्कार’ से दो बार सम्मानित हो चुके हैं।

राजस्थान साहित्य अकादेमी, उदयपुर सहित अनेक संस्थाओं से राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत एवं सम्मानित डॉ. प्रभाकर पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी ऑफ़ इंडिया के जयपुर स्कन्ध के संस्थापक अध्यक्ष हैं तथा सम्प्रति पुलित्जर संचार अध्ययन एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष हैं।

Read More
Books by this Author
Back to Top