Ek Mantri Swarglok Mein

Edition: 1994, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
10% Off
Out of stock
SKU
Ek Mantri Swarglok Mein

शंकर पुणतांबेकर का यह उपन्यास मूलतः एक व्यंग्य-रचना है, जिसमें राजनीतिज्ञों की जोड़-तोड़ का प्रभावशाली चित्रण है। जिस प्रकार पृथ्वीलोक में चुनाव में टिकट पाने, चुनाव जीतने और फिर मंत्रिपद हथियाने के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए जाते हैं, ठीक उसी तरह के हथकंडे एक मंत्री महोदय स्वर्गलोक में पहुँचने पर अपनाते हैं। आज के राजनीतिज्ञ किस प्रकार एक अच्छी-भली, साफ़-सुथरी व्यवस्था को भी अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए भ्रष्ट कर देते हैं। इसका बहुत ज़ोरदार चित्रण प्रस्तुत उपन्यास में है।

ख़ास बात यह कि कहानी में निहित व्यंग्य कटु न होते हुए भी सीधी चोट करता है और जाने-पहचाने तथ्यों को भी इस ढंग से उद्घाटित करता है कि उपन्यास को पढ़ते हुए बराबर छल-प्रपंच की एक नई दुनिया से परिचित होने का एहसास बना रहता है और साथ ही यह एहसास भी कि यह नई दुनिया कितनी तुच्छ, कितनी अवांछनीय है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 1994
Edition Year 1994, Ed. 1st
Pages 212p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Ek Mantri Swarglok Mein
Your Rating
Shankar Puntambeker

Author: Shankar Puntambeker

शंकर पुणतांबेकर

जन्म : 26 मई, 1925; कुंभराज (ज़िला गुना, मध्य प्रदेश)

शिक्षा : विदिशा, ग्वालियर, आगरा में। एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (इतिहास), पीएच.डी. (हिन्दी)

कार्य : विदिशा (म.प्र.) में अध्यापकी (1947-1960) तथा जलगाँव (महाराष्ट्र) में प्राध्यापकी (1960-85)।

प्रमुख कृतियाँ : ‘शतरंग के खिलाड़ी’, ‘दुर्घटना से दुर्घटना तक’, ‘मेरी फाँसी’, ‘गिद्ध मँडरा रहा है’, ‘कैक्टस के काँटे’, ‘प्रेम-विवाह’, ‘विजिट यमराज की’, ‘अंगूर खट्टे नहीं हैं’, ‘वदनामचा, ‘तीन व्यंग्य नाटक’, ‘व्यंग्य अमरकोश’, ‘पतनजली’, ‘बाअदब बेमुलाहज़ा’, ‘एक मंत्री स्वर्गलोक में’।

सम्मान : ‘व्यंग्य के चकल्लस’ (1994); ‘व्यंग्यश्री’ (2002) पुरस्कारों के अतिरिक्त ‘अक्षर साहित्य सम्मान’ भी प्राप्त।
निधन : 31 जनवरी, 2016

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top