Dharti Adhkhila Phool Hai

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Dharti Adhkhila Phool Hai

एकान्त नवें दशक में उभरे उन महत्त्वपूर्ण कवियों में एक हैं जिन्होंने अपनी कविताओं में अपने समय के लोक समाजों के सुख-दु:ख, हँसी-ख़ुशी, करुण-आश्चर्य, चीख़-चीत्कार आदि भावों को दर्ज किया है। आधुनिकता के दबाव में ग्रामीण समाजों में बढ़ रही ‘भावों की ग़रीबी’ को भी उन्होंने बख़ूबी अपनी कविताओं में जगह दी है। न केवल लोक के मानवीय भाव बल्कि धीरे-धीरे भारतीय समाज में हो रहे ग्रामीण समाजों के वंचितीकरण, बाज़ार-संस्कृति के आक्रामक प्रसार में अपने को बचाए रखने की जद्दोजहद, इस जद्दोजहद से निकलती भारतीय समाज के इस ‘बहुजन की राजनीति’ उनकी कविताओं में दर्ज है। उनकी कविताएँ आधुनिकता के टकराव से छिन्न-भिन्न हो रहे मानवीय भावों के जीवन्त दस्तावेज़ हैं।

पिछले दिनों हिन्दी समाज, हिन्दी कविता, भारतीय राजसत्ता एवं उसके विमर्श से गाँव, किसान एवं उसकी चिन्ताएँ ग़ायब होती गई हैं। एकान्त ने उन ग़ायब होते समूहों को अपनी कविताओं में दर्ज किया है। उनकी कविताएँ समाज में हो रहे अनेक सूक्ष्म परिवर्तनों, उस पर आम आदमी की प्रतिक्रियाओं को डॉक्यूमेंट कर उन्हें अत्यन्त सहज एवं मानवीय लोकेशन में अवस्थित कर आज के समय में प्रभावी हस्तक्षेप करती दिखती हैं।

इस संकलन में एक लम्बी कविता ‘डूब’ संकलित है जो भारत में जनजातीय समाजों के विस्थापन की पीड़ा को कविता-विमर्श का विषय बनाती है। वे एक समर्थ कवि हैं। अपने समय को कविता में लाना वे बख़ूबी जानते हैं। प्रिंट एवं मीडिया के शोर में आज जब हिन्दी काव्य-परिदृश्य में काव्यविहीन कविताएँ अच्छी कविताओं की जगह आकर क़ाबिज़ हो गई हैं, एकान्त के इस संकलन की कविताएँ हिन्दी की बेहतरीन कविताओं का नमूना प्रस्तुत करती हैं।

—बद्री नारायण

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 136p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Editorial Review

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Ekant Shrivastava

Author: Ekant Shrivastava

एकान्त श्रीवास्तव

जन्म : 8 फरवरी, 1964; ज़िला—रायपुर (छत्तीसगढ़) का एक क़स्बा छुरा।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), एम.एड., पीएच.डी.।

प्रमुख कृतियाँ : ‘अन्न हैं मेरे शब्द’ (1994), ‘मिट्टी से कहूँगा धन्यवाद’ (2000), ‘बीज से फूल तक’ (2003) (कविता-संग्रह); ‘कविता का आत्मपक्ष’ (समालोचना, 2006), ‘शेल्टर फ्रॉम दि रेन  (अंग्रेज़ी में अनूदित कविताएँ, 2007); ‘मेरे दिन मेरे वर्ष’ (स्मृति कथा, 2009), ‘बढ़ई, कुम्हार और कवि’ (लम्बी कविता, 2013), ‘पानी भीतर फूल’ (उपन्यास, 2013); ‘धरती अधखिला फूल है’ (कविता-संग्रह, 2013)।

अनुवाद : कविताएँ अंग्रेज़ी व कुछ भारतीय भाषाओं में अनूदित। लोर्का, नाजिम हिकमत और कुछ दक्षिण अफ्रीकी कवियों की कविताओं का अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद।

सम्पादन : नवम्बर 2006 से दिसम्बर 2008 तक तथा जनवरी 2011 से कुछ वर्षों तक ‘वागर्थ’ का सम्पादन।

पुरस्कार : शरद बिल्लौरे, रामविलास शर्मा, ठाकुर प्रसाद, दुष्यन्त कुमार, केदार, नरेन्द्र देव वर्मा, सूत्र,हेमन्त स्मृति, जगत ज्योति स्मृति, वर्तमान साहित्य—मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार।

ई-मेल: shrivastava.ekant@gmail.com

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