‘धन की खन-खन’ एक लोककथा है। इसमें सेठ धनीराम और उसके बच्चों की कहानी कही गई है। पिता से मिली सम्पत्ति से उनके बेटे आलसी और निकम्मे हो गये थे। वे अपने पिता धनीराम की देखभाल भी नहीं करना चाहते थे। यह पुस्तक उन्हें सीख देने वाले धनीराम के मित्र की सूझ-बूझ के बारे में बताती है। इस तरह यह नैतिक शिक्षा का आदर्श प्रस्तुत करने वाली कहानी है जो अपने रेखाचित्रों से भी बच्चों को आकर्षित करती है।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2016 |
Edition Year | 2022 |
Pages | 24p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 19.5 X 20.5 X 0.3 |