Devgarh Ka Gond Rajya

Author: Suresh Mishra
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Devgarh Ka Gond Rajya
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देवगढ़ के गोंड राजाओं ने 16वीं सदी के अन्त से 18वीं सदी के मध्य तक लगभग पौने दो सौ साल तक अपना गौरवशाली इतिहास रचा तथा उनके वंशज आज भी वारिसों के रूप में विद्यमान हैं। उन्हीं गोंड राजाओं के जीवन के विभिन्न पहलुओं से रू-ब-रू कराती यह पुस्तक भारतीय जनजातीय इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है।

यह पुस्तक हमें सतपुड़ा के अंचल में विकसित हुए देवगढ़ के गोंड राजाओं के उत्थान और पतन का क्रमवार विवरण देती है।

इस पुस्तक में जहाँ मुग़लों द्वारा निरन्तर प्रताड़ित किए जाते रहे गोंड राजाओं के आन्तरिक क्लेशों और उनकी पीड़ाओं का मार्मिक चित्रण है। वहीं उनकी समृद्धि में सहायक रहे रघुजी भोंसले की कूटनीतिज्ञता का परिचय के साथ-साथ कैसे उन्हें ब्रिटिश गवर्नरों द्वारा पेंशनधारी राजा बनाकर प्रभावहीन कर दिया जाता है, इस तथ्य को भी यहाँ रेखांकित किया गया है।

डॉ. सुरेश मिश्र के अथक परिश्रम से तैयार की गई यह ऐसी पुस्तक है जो देवगढ़ के गोंड राजाओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है। यह पुस्तक शोधकर्ताओं तथा इतिहास में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए उपादेय है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 104p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Suresh Mishra

Author: Suresh Mishra

सुरेश मिश्र

जन्म : 9 नवम्बर, 1937; महाराजपुर, मंडला (मध्य प्रदेश)।

शिक्षा : एम.ए. इतिहास 1960 (विक्रम), पीएच.डी. 1973 (सागर)।

1960-98 तक मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में इतिहास का अध्यापन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘अकबर’, ‘गढ़ा के गोंड राज्य का उत्थान और पतन’, ‘पश्चिमोत्तर सीमान्त नीति’ (1839-1947), ‘रानी दुर्गावती’, ‘मध्य प्रदेश के गोंड राज्य’, ‘भारत का इतिहास’ (1740-1857), ‘1857—मंडला के दस्तावेज़’, ‘1857—रामगढ़ की रानी अवन्तीबाई’, ‘1857—मध्य प्रदेश के रणबाँकुरे’, ‘1842 के विद्रोही हीरापुर के हिरदेशाह’, ‘इतिहास के पन्नों से’, ‘क़ाफ़ि‍ले यादों के’, ‘ट्राइबल्स असेंडेंसी इन सेंट्रल इंडिया—द गोंड किंगडम ऑफ़ गढ़’।

सम्‍पादन : ‘मालवा और निमाड़ का इतिहास’ (1994); ‘मालवा और बुन्देलखंड’ (1996); ‘साहित्य में इतिहास’ (1998); ‘मध्ययुगीन मध्य प्रदेश’ (1998); ‘संधान’-1 (झाँसी) (2003); ‘संधान’-2 (झाँसी) (2004); ‘संधान’-3 (झाँसी) (2005); ‘संधान’-4 (झाँसी) (2006); ‘संधान’-5 (झाँसी) (2007)।

अनुवाद : ‘भारतीय संस्कृति पर इस्लाम का प्रभाव’, ‘ख़लजी वंश का इतिहास’, ‘लोक प्रशासन’, ‘भारतीय कृष्णमृग’, ‘मिथ्स ऑफ़ मिडिल इंडिया’।

हिन्दी संक्षिप्तीकरण : ‘आधी दुनिया भूखी क्यों’ (दूसरा संस्करण); ‘बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर सरकारें मेहरबान’, ‘दुनिया की भुखमरी : 12 ग़लतफ़हमियाँ’।

निधन : 22 अप्रैल, 2021

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