दारुलशफ़ा, लखनऊ। यह पता है हमारी वर्तमान राजनीति का, जिसके ‘चरित्र’ का लेखा-जोखा इस किताब में दर्ज है। यानी एक स्थान विशेष, जहाँ कुछ विशेष लोग विशेष स्थितियों में विशेष समस्याओं के समाधान में जुटे हुए हैं। ये समस्याएँ निजी होकर राष्ट्रीय हैं, तो प्रादेशिक होकर अन्तरराष्ट्रीय। भारतीय राजनीति पिछले डेढ़-दो दशक से कुछ ऐसी ही समस्याओं का उत्पादन कर रही है।

वातानुकूलित कक्ष। लम्बे-लम्बे गलियारे। लॉन। और इस सबमें लगातार कानाफूसी करती हुई साज़िश। अपनी-अपनी रियासतों की हिफ़ाज़त के लिए चिन्तित कुर्सियाँ और उनके इर्द-गिर्द लट्टुओं की तरह चक्कर काटते चमचे।...इसी माहौल में सुपरिचित वर्तमान राजनीति के विभिन्न अँधेरे कोनों की विस्मयकारी पड़ताल की गई और वस्तुतः एक रोचक घटनाक्रम के सहारे यह उपन्यास राजनीति की जिन घिनौनी सच्चाइयों को उद्घाटित करता है, वे हमारी आँखें खोल देनेवाली है और हमें इस सारे तंत्र पर नए सिरे से सोचने को बाध्य करती है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1985
Edition Year 2006, Ed. 2nd
Pages 346p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Darulshafa
Your Rating

Author: Rajkrishna Mishra

राजकृष्ण मिश्र

जन्म : 3 अगस्त, 1940; वाराणसी।

शिक्षा : बी.ए. (कॉमर्स), लखनऊ विश्वविद्यालय; सर्टिफ़‍िकेट कोर्स, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल वेलफ़ेयर एंड बिजिनेस मैनेजमेंट, कोलकाता।

राजकृष्ण मिश्र की पहली कहानी ‘ककन के लिए’ 1957 में छपी थी। उसके बाद ‘क्या होगा’, वह आएगी’, धड़कनों का राग’, मन के किनारे’, धन्धा’ आदि कहानियाँ समय-समय पर प्रकाशित होती रहीं। ‘दारुलशफ़ा’, मंत्रिमंडल’, ‘कामना का क्षितिज’ आदि उनके बहुचर्चित उपन्‍यास और रेखाचित्र हैं। उन्‍होंने ‘चालान’, वापसी’,वजूद’ और ‘हेलो’ आदि कई महत्‍त्‍वपूर्ण नाटक भी लिखे। ‘चालान’ और ‘वापसी’ नाटक दूरदर्शन और आकाशवाणी से प्रसारित किए जा चुके हैं।

राजकृष्ण जी दूरदर्शन के फ़्रीलांस निर्माता-निर्देशक रहे और दूरदर्शन के लिए फ़िल्में बनाते रहे। वे ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’,बन्द मुट्ठी’, ‘खुला आसमान’,पीढ़ी से पीढ़ी तक’, ‘टुकड़ों में बँटी ज़िन्दगी’, ‘भूले भटके’, ‘पुन:’, दस साल बाद’, ‘रहस्य’, ‘अनुभूति’, ‘संकट मोचक’, ‘रासलीला’ आदि दूरदर्शन फ़िल्मों के पटकथा-लेखक, निर्माता और निर्देशक रहे। उन्‍होंने उत्तर प्रदेश चलचित्र निगम लिमिटेड में सलाहकार के पद पर कार्य करते हुए अपना बहुमूल्‍य योगदान दिया।

निधन : 29 मार्च, 2020

Read More
Books by this Author
Back to Top