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Rajkrishna Mishra
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राजकृष्ण मिश्र
जन्म : 3 अगस्त, 1940; वाराणसी।
शिक्षा : बी.ए. (कॉमर्स), लखनऊ विश्वविद्यालय; सर्टिफ़िकेट कोर्स, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल वेलफ़ेयर एंड बिजिनेस मैनेजमेंट, कोलकाता।
राजकृष्ण मिश्र की पहली कहानी ‘ककन के लिए’ 1957 में छपी थी। उसके बाद ‘क्या होगा’, ‘वह आएगी’, ‘धड़कनों का राग’, ‘मन के किनारे’, ‘धन्धा’ आदि कहानियाँ समय-समय पर प्रकाशित होती रहीं। ‘दारुलशफ़ा’, ‘मंत्रिमंडल’, ‘कामना का क्षितिज’ आदि उनके बहुचर्चित उपन्यास और रेखाचित्र हैं। उन्होंने ‘चालान’, ‘वापसी’, ‘वजूद’ और ‘हेलो’ आदि कई महत्त्वपूर्ण नाटक भी लिखे। ‘चालान’ और ‘वापसी’ नाटक दूरदर्शन और आकाशवाणी से प्रसारित किए जा चुके हैं।
राजकृष्ण जी दूरदर्शन के फ़्रीलांस निर्माता-निर्देशक रहे और दूरदर्शन के लिए फ़िल्में बनाते रहे। वे ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’, ‘बन्द मुट्ठी’, ‘खुला आसमान’, ‘पीढ़ी से पीढ़ी तक’, ‘टुकड़ों में बँटी ज़िन्दगी’, ‘भूले भटके’, ‘पुन:’, ‘दस साल बाद’, ‘रहस्य’, ‘अनुभूति’, ‘संकट मोचक’, ‘रासलीला’ आदि दूरदर्शन फ़िल्मों के पटकथा-लेखक, निर्माता और निर्देशक रहे। उन्होंने उत्तर प्रदेश चलचित्र निगम लिमिटेड में सलाहकार के पद पर कार्य करते हुए अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
निधन : 29 मार्च, 2020