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Company Raj Aur Hindi-Hard Cover

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उपनिवेशवाद ने अपने विस्तार के लिए एक ख़ास क़िस्म के लेखन को काफ़ी प्रश्रय दिया था। यह सर्वस्वीकृत तथ्य है। लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है। फ़ोर्ट विलियम कॉलेज और तद्युगीन अन्य संस्थानों द्वारा उत्पादित ज्ञान के भंडार का अब तक का अध्ययन इस बात की तस्दीक करता है कि अध्येताओं के मानस में ‘प्राच्यवाद’ का भूत कुछ इस तरह जड़ जमाकर बैठ गया है कि उनके बौद्धिक मानस से द्वन्द्वात्मक दृष्टि ही काफ़ूर हो चुकी है। औपनिवेशिक दौर के सम्पूर्ण लेखन को इस तरह की सीमा में बाँधकर एक ही चश्मे से देखने से वास्तविक भौतिक परिस्थितियों और उनके प्रभावों का उद्घाटन कठिन हो जाता है। यह ठीक है कि औपनिवेशिक सत्ता ज्ञान का अपने पक्ष में अनुकूलन करती रही है लेकिन हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि अनुकूलन चाहे कितना भी हो, द्वन्द्वात्मक परिस्थितियों में ज्ञान की भूमिका के अन्य आयाम भी होते हैं। इन आयामों को हम तभी पहचान सकते हैं जब हम समय में विद्यमान दूसरे प्रभावी कारकों पर भी नज़र बनाए रखें। यह एक ऐतिहासिक दायित्व का कार्य है कि अंग्रेज़ी हुकूमत द्वारा हिन्दुस्तान के आर्थिक दोहन और आधुनिकता में हस्तक्षेप के बारे में हम तर्क जुटाएँ, लेकिन इस क्रम में हमने अगर पंक्तियों के बीच विद्यमान तथ्यों को विस्मृत कर दिया है, तो उसका पुन: उद्घाटन भी किया जाना चाहिए। ज्ञान की चेतना अन्याय के विरोध के साथ किसी भी क़िस्म के छद्म के अनावरण की पक्षधर होनी चाहिए। इसीलिए इस पुस्तक में कम्पनी की नीतियों का पुनर्विश्लेषण कर और कॉलेज के साथ उसके सम्बन्धों में विद्यमान सूक्ष्म भेदों को प्रकाशित कर, सत्ता और ज्ञान के सम्बन्धों की बारीकियों को उजागर किया गया है। दोनों की भाषा-नीति का फ़र्क़ बताकर हमारी दृष्टि की एकरेखीयता को उद्घाटित किया गया है। इन सबके साथ-साथ हिन्दी भाषा और साहित्य की विकास परम्परा और हिन्दी-उर्दू रिश्ते को एक बार फिर से विश्लेषित कर नए गवाक्ष खोले गए हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 200p
Price ₹495.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.2 X 1.6
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Sheetanshu

Author: Sheetanshu

शीतांशु

जन्म : गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। प्रारम्भिक शिक्षा वहीं से।

स्नातक की पढ़ाई प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता से। तत्पश्चात् जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से एम.ए. (हिन्दी) और एम.फ़िल. की उपाधि। कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता से पीएच.डी.। अंग्रेज़ी में भी एम.ए. की उपाधि।

विद्यार्थी जीवन के दौरान छात्र-राजनीति में सक्रिय भागीदारी। विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। कई सामाजिक-सांस्कृतिक मंचों से सम्बद्ध।

सम्पादन : ‘पाठ और पाठ्यक्रम’ (प्रो. ओमप्रकाश सिंह के साथ संयुक्त सम्पादन), ‘उपन्यास का वर्तमान’ (प्रो. ओमप्रकाश सिंह के साथ संयुक्त सम्पादन)।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में यूजीसी द्वारा रिसर्च अवार्ड के तहत दो वर्षों (2014-16) के लिए प्रदत्त शोध-कार्य सम्पन्न। ‘कम्पनी राज और हिन्दी : सन्दर्भ फ़ोर्ट विलियम कॉलेज’ चर्चित पुस्तक।

सम्प्रति : असम विश्वविद्यालय, सिलचर में अध्यापन।

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