Chithhi Jo Padhee Nahin Gai

Edition: 1999, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Chithhi Jo Padhee Nahin Gai

कहानीकार, कवि, व्यंग्यकार और निबन्धों पर भी सफलतापूर्वक हाथ आज़माने वाले कृष्ण अम्बष्ठ का यह कहानी-संग्रह पारिवारिक रिश्तों से लेकर प्रशासनिक दुनिया में फैले लोभ-लालच के बीहड़ तक को खँगालता है।

संग्रह में शामिल इक्कीस कहानियाँ अपने विषय-वैविध्य के अलावा पठनीयता के लिए भी उल्लेखनीय हैं। मध्यवर्गीय और निम्न-मध्यवर्गीय जीवन से लिए गए पात्रों के मन और परिवेश की लेखक को गहरी समझ है जो इन कहानियों की बुनावट में जाहिर होती है। आर्थिक अभाव के चलते अपने मानवीय आग्रहों से बरबस च्युत होते हुए लोग, ऊँचे पदों पर बैठे हुए लोगों की स्वाभाविक हो चली क्रूरता और दूसरी तरफ़ पूजा-पाठ आदि का आडम्बर—यह सब एक पूरी दुनिया की तरह यहाँ प्रकट होता है।

अपने आसपास की वस्तुओं और लोगों का ‘ऑब्जर्वेशन’ कृष्ण अम्बष्ठ की इन कहानियों की पठनीयता को रोचक और सहज बना देता है। ‘माइल स्टोन’ शीर्षक कहानी की ये पंक्तियाँ देखें : “कई घरों में एक से अधिक घडि़यों के रहने पर भी उनकी मिनटवाली सुइयों में आपसी तालमेल का अभाव-सा रहता है।” निजी जीवन में लेखक के बहुरंगी अनुभवों की छटा इन कहानियों के कलेवर को विस्तृत करती है, और विश्वसनीय भी बनाती है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1999
Edition Year 1999, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Author: Krishna Ambashth

कृष्ण अम्बष्ठ

जन्म : सन् 1945 में बिहार राज्य के नालन्दा ज़िला के बिहार शरीफ़ प्रखंड अन्तर्गत मानपुर थाना स्थित सिंगधू नामक गाँव में।
शिक्षा : विधि स्नातक (मगध विश्वविद्यालय)।
प्रमुख कृतियाँ : ‘घूँघट हटते ही’, ‘विषैला अमृत’, ‘एक और रॉबिनहुड’ (उपन्यास); ‘चिट्ठी जो पढ़ी नहीं गई’, ‘उन्नीस कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘रास्ते और भी हैं’, ‘जोंक’, ‘ज़रूरत इसी की थी’, ‘ऐसा हो जाए तो...’ (नाटक); ‘लातों के देवता’ (नुक्कड़ नाटक); ‘मेहनतकश की दीवाली’ (काव्य-संकलन)।
अन्य : मगही में कहानियाँ, कविताएँ प्रकाशित। आकाशवाणी, पटना से कहानियाँ प्रसारित।
सम्पादन : एक साहित्यिक एवं एक सामाजिक पत्रिका।
सम्मान : अंकिता प्रकाशन, आसनसोल (पश्चिम बंगाल) से ‘गिरिजाकुमार माथुर सम्मान’ तथा अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति, मथुरा से ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’।
बिहार प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त।

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