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Cheentiyon Ke Paanv

Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Cheentiyon Ke Paanv

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आज कोई भी संवेदनशील प्राणी युग, देश की विसंगतियों से अछूता नहीं रह सकता। प्रतिक्रिया प्रायः व्यंग्यात्मक होती हैं—निर्ममता और क्रूरता लिये हुए। सत्यमोहन की प्रतिक्रिया व्यंग्यात्मक होकर भी कोमल है, उनके व्यक्तित्व—चरित्र के अनुकूल। उनसे जब भी मिला हूँ उनके मृदु स्वभावी होने की छाप मेरे मन पर पड़ी है।

—डॉ. हरिवंश राय बच्चन

सब पार्थिव और अपार्थिव दीवारों के ख़िलाफ़ हैं। सत्यमोहन भी इस ‘मुक्तिबोध’ के प्रति लापरवाह नहीं हैं। जीवन के प्रति यह स्वस्थ दृष्टिकोण है। वे ऐसा कुछ लिखते हैं, जो सबका जाना-समझा और अनुभूत होता है।

—पं. भवानी प्रसाद मिश्र

सत्यमोहन की प्रसन्न सकारात्मकता उनकी संक्रामक आत्मीयता का मूल है। दूब जैसे भीतर ही भीतर फैलती है वैसे ही उनकी रचनात्मकता विभिन्न विधाओं में फैलती है। वे जीवन के पात्र को कभी आधा ख़ाली नहीं देखते—आधा भरा हुआ देखते हैं। वे सफलता की तुलना में सार्थकता को श्रेयस्कर मानते हैं।

—प्रो. कांति कुमार जैन

सत्यमोहन से 'सर्जना-77' के दौरान पहचान हुई और 'गंगा' के प्रकाशन के समय प्रगाढ़ता बढ़ी। वे बेहद शालीन और प्रिय व्यक्तित्व के धनी हैं। उनकी रचनाएँ समय सापेक्ष हैं। छोटी-छोटी कविताओं में वे बड़ी बात कह जाते हैं। उनकी गजलें उद्वेलित करती हैं और उनका तरन्नुम बेहद प्रभावी है।

—कमलेश्वर

सत्यमोहन की साहित्य और रंगकर्म की गतिविधियों में उत्साही और सक्रिय सहभागिता रही है। उम्र के इस पड़ाव पर साहित्यिक जागरूकता और संलग्नता बनाए रखना प्रशंसनीय उपलब्धि है। उम्मीद है कि उनकी कल्पनाशील और आस्थावान रुचियाँ अभी भी जीवन्त रहेंगी।

—प्रो. मनोहर वर्मा

सत्यमोहन जी के लेखन में साफ़-सुथरी भाषा और सम्प्रेषण क्षमता है। उनकी रचनात्मकता की उड़ान काफ़ी ऊँची है। वे इस पड़ाव पर भी सक्रिय हैं यह क्या कम है, उनके जीवन की अपेक्षाएँ पूरी हों यही हमारी कामना है।

—डॉ. रमाकान्त श्रीवास्तव

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 128p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Satyamohan Verma

Author: Satyamohan Verma

सत्यमोहन वर्मा

सत्यमोहन वर्मा का जन्म 1933 में दमोह, मध्य प्रदेश में हुआ। उन्होंने डिग्री कॉलेज, दमोह में व्याख्याता के तौर पर कार्य प्रारम्भ किया तथा डॉ. विजय लाल महाविद्यालय, दमोह के शिक्षा निदेशक के पद से सेवा निवृत्त हुए।

उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं—‘दीवारों के ख़िलाफ़’, ‘पल दो पल’, ‘विकल्प का समीकरण’, ‘व्योम धर्मा’, ‘चींटियों के पाँव’ और ‘कश्तियों वाला सफ़र’। इसके अलावा उन्होंने ‘कर्म संन्यासी कृष्ण’ का सम्पादन किया।  स्पिक मेके की रचनाओं के संग्रह ‘चिन्तन’ का हिन्दी अनुवाद किया जो काफी चर्चित एवं लोकप्रिय हुआ। ‘बुन्देलखंड गान’ की रचना की जिसे प्रख्यात सिने गायक विनोद राठौर ने स्वरबद्ध किया है। ‘सर्जना 77', ‘नवोदित’, ‘अभिनिवेष’, ‘सबकी ख़बर’ आदि का सम्पादन किया। प्रगतिशील लेखक संघ, दमोह के संस्थापक-अध्यक्ष रहे। वे उज्जैन से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘समावर्तन’ के सलाहकार मंडल के सक्रिय सदस्य हैं।

उन्हें ‘सृजन सम्मान’, ‘विट्ठल भाई सांस्कृतिक सम्मान’, ‘राजेन्द्र स्मृति सम्मान’, ‘रंगकर्म अलंकरण’ समेत कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है।

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