Chanakya Ke Jasoos

Philosophy,Fiction : Novel
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Chanakya Ke Jasoos
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‘चाणक्य के जासूस’ अनेक अर्थों में एक महत्त्वपूर्ण कृति है। यह न केवल इतिहास को एक नई दृष्टि से देखती है बल्कि जासूसी की तमाम पुरातन-ऐतिहासिक तकनीकों का विशद विवेचन भी करती है। चाणक्य के बारे में प्रचलित अनगिनत मिथकों से इतर इसमें हमें उनका वह रूप दिखलाई पड़ता है, जो जासूसी का शास्त्र विकसित करता है और उसे राजनीतिशास्त्र का अपरिहार्य अंग बनाकर मगध साम्राज्य के शक्तिशाली किंतु अहंकारी शासक धननन्द का अन्त सम्भव करता है। बेशक धननन्द का महामात्य कात्यायन जो इतिहास में राक्षस के रूप में प्रसिद्ध है, भी जासूसी में कम प्रवीण न था, लेकिन उसके पास केवल सत्ता-बल था। उसकी जासूसी विद्या नैतिकता की बजाय निजी स्वार्थपरता से संचालित थी। लेकिन चाणक्य ने अपनी जासूसी में व्यावहारिकता और नैतिकता का सामंजस्य हमेशा बनाए रखा और मगध साम्राज्य की जनता के कल्याण के उद्देश्य को कभी नहीं भूला। यह उपन्यास दिखलाता है कि चाणक्य ने सम्राट धननन्द को खून की एक भी बूँद बहाए बिना अपने बुद्धिबल से मगध साम्राज्य के सिंहासन से अपदस्थ किया और चंद्रगुप्त को उस पर बिठाकर राष्ट्र के सुदृढ़ भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया। इसमें इतिहास का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला वह जासूसी तंत्र अपने पूरे विस्तार में दिखलाई पड़ता है, जो हमेशा से नेपथ्य में रहकर ही अपना काम करता है। इतिहास का एक महत्वपूर्ण कालखंड इस उपन्यास का आधार है। लेकिन यह एक साहित्यिक कृति है। इसलिए इतिहास को दुहराने की बजाय इसमें उस कालखंड के ऐतिहासिक मर्म को तथ्यसंगत ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जिसकी प्रासंगिकता आज भी क़ायम है। उपन्यास में लेखक ने जासूसी की आधुनिक विधियों का भी पर्याप्त उल्लेख किया है और  तमाम ऐतिहासिक और आधुनिक सन्दर्भों से उसे विश्सनीय बनाया है। इस लिहाज से यह खासा शोधपूर्ण उपन्यास है, ख़ासकर इसलिए भी कि ख़ुद लेखक भी लम्बे समय तक जासूसी सेवा में रहा है। बेहद पठनीय और रोमांचक कृति!

—शशिभूषण द्विवेदी

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 343p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 2
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Editorial Review

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Trilok Nath Pandey

Author: Trilok Nath Pandey

त्रिलोकनाथ पांडेय

वाराणसी (अब चन्दौली) ज़‍िले के नेक नामपुर गाँव में 1 जुलाई, 1958 को जन्मे त्रिलोकनाथ पांडेय की शिक्षा गाँव के विद्यालय में हुई। उसके बाद, इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। भारत सरकार के गृह मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में श्री पांडेय देश के विभिन्न स्थानों पर पद स्थापित रहे हैं। सराहनीय सेवाओं के लिए ‘भारतीय पुलिस पदक’ (2010) एवं विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति द्वारा ‘पुलिस पदक’ (2017) से अलंकृत हो चुके हैं। अंग्रेज़ी और हिन्दी दोनों भाषाओं में लिखनेवाले श्री पांडेय की यह दूसरी औपन्यासिक कृति है।

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