Prem Lahari

Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Prem Lahari
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'प्रेमलहरी' इतिहास के बड़े चौखटे में कल्पना और जनश्रुतियों के धागों से बुनी हुई प्रेमकथा है। यह इतिहास नहीं है, न ही इसका वर्णन किसी इतिहास पुस्तक में मिलता है। लेकिन जनश्रुति में इस कथा के अलग-अलग हिस्से या अलग-अलग संस्करण अकसर सुने जाते हैं। इस प्रेम-आख्यान के नायक-नायिका हैं शाहजहाँ के राजकवि और दारा शिकोह के गुरु पंडितराज जगन्नाथ और मुग़ल शाहज़ादी गौहरआरा उर्फ़ लवंगी।

मध्यकालीन इतिहास में हिन्दू-मुस्लिम प्रेम-आख्यान तो कई मिलते हैं, लेकिन किसी शाहज़ादी की किसी ब्राह्मण आचार्य और कवि से यह अकेली प्रेम कहानी है जो मुग़ल दरबार की दुरभिसन्धियों के बीच आकार लेती है। 'गंगालहरी' ख़ुद पंडितराज जगन्नाथ का अद्भुत संस्कृत काव्य है जिसमें कहीं-कहीं ख़ुद उनके प्रेम की व्यंजना निहित है।

प्रचलित बतकहियों की गप्प समाजविज्ञान से मिल जाए तो उससे एक बड़ा सच भी सामने आ जाता है। इस उपन्यास में यह हुआ है। मुग़ल शाहज़ादियों को न शादी की इजाज़त थी न प्रेम करने की। ऐसे में चोरी-छुपे प्रेम-सुख तलाश करना उनकी मजबूरी रही होगी। इस उपन्यास में ऐसे कुछ विवरण आए हैं।

यह उपन्यास इतिहास की एक फ़ैंटेसी है, जिसमें किंवदन्तियों के आधार पर मध्यकालीन सत्ता-संरचना के बीच दो धर्मों और दो वर्गों के बीच न पाटी जा सकनेवाली ख़ाली जगह में प्रेम का फूल खिलते दिखाया गया है।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 180p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Trilok Nath Pandey

Author: Trilok Nath Pandey

त्रिलोकनाथ पांडेय

वाराणसी (अब चन्दौली) ज़‍िले के नेक नामपुर गाँव में 1 जुलाई, 1958 को जन्मे त्रिलोकनाथ पांडेय की शिक्षा गाँव के विद्यालय में हुई। उसके बाद, इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। भारत सरकार के गृह मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में श्री पांडेय देश के विभिन्न स्थानों पर पद स्थापित रहे हैं। सराहनीय सेवाओं के लिए ‘भारतीय पुलिस पदक’ (2010) एवं विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति द्वारा ‘पुलिस पदक’ (2017) से अलंकृत हो चुके हैं। अंग्रेज़ी और हिन्दी दोनों भाषाओं में लिखनेवाले श्री पांडेय की यह दूसरी औपन्यासिक कृति है।

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