Char Natak

चार नाटक पुस्तक में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की चार अनूदित रचनाएँ प्रकाशित हैं। ये रचनाएँ हैंदृघर बाहर, विसर्जन, लाल कनेर और शेषरक्षा। अनुवाद एवं नाट्यरूपान्तर सुप्रसिद्ध रंग-मर्मज्ञ प्रतिभा अग्रवाल ने किया है। उनके अनुसार इन ‘अनुवादों का एक इतिहास है जो पाँच दशकों के कालखंड में फैला हुआ है’। इन नाटकों को पढ़ते हुए अनुभव किया जा सकता है कि अनुवाद और रूपान्तर ने मूल रचना की आत्मा को सुरक्षित रखा है।
अनुवाद वैसे भी परकाया प्रवेश सरीखा नाम है, फिर गुरुदेव की अद्भुत और निहितार्थों से भरी रचनाओं का अनुवाद! प्रतिभा अग्रवाल के शब्दों मेंदृरवीन्द्रनाथ की रचनाओं का अनुवाद कड़ी परीक्षा की तरह होता है। कथ्य के गूढ़ार्थ को समझना, उसे हृदयंगम करना, किसी अन्य भाषा में उसके लिए उपयुक्त शब्दावली पाना, लेखक के कवित्व को बरकरार रखते हुए और शिल्प के सौन्दर्य को सुरक्षित रखते हुए अनुवाद करना साहसपूर्ण नहीं वरन् एक साहसिक काम होता है। फिर भी लोग करते रहते हैं।
कथा और शिल्प की दृष्टि से चारों नाटकों में पर्याप्त भिन्नता मिलती है। सबकी अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं। नाट्यालेखों के साथ इन पर संक्षिप्त चर्चा की गई है।
रंगप्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय पुस्तक।
Language | Hindi |
---|---|
Format | Hard Back |
Publication Year | 2013 |
Edition Year | 2013, Ed. 1st |
Pages | 344p |
Translator | Pratibha Agarwal |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here