Buniyadi Taleem

Author: A. Arvindakshan
Editor: Mithilesh
Edition: 2023, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Buniyadi Taleem

जब हम गांधी जी द्वारा परिकल्पित तथा कार्यान्वित बुनियादी शिक्षा की बात करते हैं तो अजीब-सा अनुभव महसूस हो सकता है, क्योंकि गांधी जी की बुनियादी शिक्षा-परिकल्पना के साथ आज के शिक्षा-जगत् का कोई सम्बन्ध नहीं है।

प्रस्तुत पुस्तक का विचारणीय विषय यही है कि गांधी जी द्वारा परिकल्पित बुनियादी शिक्षा की मूल्यदृष्टि क्या है और आज उसे किस तरह से देखा-परखा जाना चाहिए तथा आज की नूतन शिक्षा-पद्धति के साथ इसको कैसे मिलाया जाना चाहिए।

गांधी जी सचमुच एक आत्मसजग पीढ़ी भारत के लिए तैयार करना चाहते थे। इसलिए प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को केन्द्र में रखा।

ऐसे में हमें यह सोचना चाहिए कि मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा, सभी तबकों के विद्यार्थियों को समान सुविधाओं वाली पाठशालाओं की परिकल्पना और उन्हें सुविधाएँ उपलब्ध कराना, शिक्षा-पद्धतियों को समान बनाना, अध्यापक-प्रशिक्षण को वैज्ञानिक बनाना, सुविधाओं से वंचित सामाजिक तबके के विद्यार्थियों को समकक्ष तक ले आने योग्य पद्धतियों व योजनाओं का अखिल भारतीय स्तर पर आविष्कार करना आदि समान दृष्टि से जब तक कार्यान्वित नहीं होगा, तब तक बुनियादी शिक्षा का यह मातृभाषा में शिक्षण का सपना अतीत का अवैज्ञानिक सपना ही सिद्ध हो सकता है।

पुस्तक में बुनियादी तालीम के विभिन्न पक्षों पर सारगर्भित लेख प्रस्तुत करने का प्रयास है। इस विषय पर गम्भीर चिन्तन के लिए यह एक प्रवेशिका का कार्य करेगी, इसी आशा के साथ इसे पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2023, Ed. 3rd
Pages 200p
Translator Not Selected
Editor Mithilesh
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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A. Arvindakshan

Author: A. Arvindakshan

ए. अरविंदाक्षन

ए. अरविन्दाक्षन का जन्म 10 जून, 1949 को पालक्काड, केरल में हुआ। वे महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के प्रति कुलपति रहे हैं।

उनकी प्रकाशित कविता पुस्तकें हैं—बाँस का टुकड़ा, घोड़ा, आसपास, सपने सच होते हैं, राग लीलावती, असंख्य ध्वनियों के बीच, भरा पूरा घर, पतझड़ का इतिहास, राम की यात्रा, जंगल नजदीक आ रहा है, समुद्र से संवाद, खँडहरों के बीच, नीलाम्बर, वट के पत्ते पर लीलारविंद की तरह, साक्षी है धरती साक्षी है आकाश, प्रार्थना एक नदी है, प्रतिनिधि कविताएँ।

हिन्दी में बीस आलोचना पुस्तकों के अतिरिक्त मलयालम में पाँच आलोचना की पुस्तकें; एक उपन्यास; पन्द्रह अनूदित पुस्तकें; तेईस सम्पादित पुस्तकें; अंग्रेजी में दो पुस्तकें।

बीस राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार, साहित्य वाचस्पति उपाधि से सम्मानित ।

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