Braj Ritusanhar

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Braj Ritusanhar
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“हिन्दी की परम्परा और सर्जनात्मक वैभव का बहुत बड़ा हिस्सा ब्रज काव्य है। ब्रज काव्य में भक्ति, शृंगार और प्रकृति पर केन्द्रित कविताएँ अपनी विपुलता, विविधता और काव्य-कौशल के लिए विख्यात रही हैं। उनमें सौन्दर्य को भाषिक सौन्दर्य में रूपान्तरित करने की अद्भुत क्षमता दीख पड़ती है। लगभग सात दशकों पहले मथुरा के एक विद्वान–रसिक श्री प्रभुदयाल मीतल ने ‘ब्रजभाषा साहित्य का ऋतु-सौन्दर्य’ नाम से प्रकृति-काव्य का एक संचयन प्रकाशित किया था जिसकी प्रस्तावना महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने लिखी थी। अपनी परम्परा के स्मृति-लोप के इस अभागे समय में इसे ‘ब्रज ऋतुसंहार’ शीर्षक से पुनर्प्रकाशित कर रहे हैं। रज़ा पुस्तक माला के अन्तर्गत ऐसे गौरवग्रन्थों को फिर से पाठकों के सामने लाने का यह एक उपक्रम है। स्मृति के पुनर्वास की एक चेष्टा।”

—अशोक वाजपेयी

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 294p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2.5
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Author: Prabhudyal Meetal

प्रभुदयाल मीतल

ब्रज साहित्य, संस्कृति व कलाओं के विशेषज्ञ। आलोचक। सम्पादक। अब दिवंगत।

प्रमुख पुस्तकें : ‘ब्रज का सांस्कृतिक इतिहास’, ‘ब्रजभाषा साहित्य का नायिका भेद’, ‘ब्रज की रासलीला’, ‘संगीत सम्राट तानसेन’, ‘सूरदास मदनमोहन : जीवनी और पदावली’, ‘ब्रज की कलाओं का इतिहास’, ‘चंदसखी का जीवन और साहित्य’, ‘संगीताचार्य बैजु और गोपाल’, ‘अष्टछाप परिचय’ आदि।

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