Bisnath Ka Balrampur

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Bisnath Ka Balrampur
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‘नंगातलाई का गाँव’ के बाद ‘बिसनाथ का बलरामपुर’। इसमें विश्वनाथ त्रिपाठी वर्णन कर रहे हैं अपने विद्यार्थी जीवन और उस समय की सामाजिक-राजनीतिक आबोहवा का। आजादी के ठीक पहले का वातावरण जिसे हम इतिहास की पुस्तकों में उस तरह महसूस नहीं कर सकते, जैसे यहाँ कर सकते हैं—इस आख्यान में।

बलरामपुर यहाँ स्वतंत्रता-पूर्व के मिनी भारत के रूप में दिखाई देता है—वहाँ रियासत है, अंग्रेज अधिकारी हैं, स्वतंत्रता आन्दोलन और उसके नेताओं को लेकर बड़े शहरों जैसी सजगता-सक्रियता है, हिन्दू-मुसलमान के प्रश्न हैं, मुस्लिम लीग है और आर.एस.एस. है जिसके जादुई आकर्षण ने युवा और विचारशील बिसनाथ को सालों बाँधे रखा। वे उसके लिए जेल भी गए, और फिर अपनी विचारशीलता के चलते उससे मुक्त हुए।

विश्वनाथ त्रिपाठी बतौर आलोचक पाठ की जितनी तहों को देख पाते हैं, रचनात्मक आख्यान में उससे भी ज्यादा समाज की और मनुष्य की परतों को देख लेते हैं, और उसे जिस तरह लिखते हैं, वह उन्हें उत्तम कोटि का किस्सागो बनता है।

इस स्मृति-यात्रा में उन्होंने पूर्वी अवध के सांस्कृतिक-सामाजिक और राजनीतिक जीवन का अत्यन्त जीवन्त और व्यापक चित्र खींचा है। बच्चों के खेलों से लेकर लोक में रचे-बसे कला-रूपों, गीत-संगीत और जीवन की दैनन्दिनी में दिखाई पड़नेवाली विडम्बनाओं, आपदाओं और संकटों को भी उन्होंने बहुत नजदीक से देखा-जाना है; और यह सब एक सामर्थ्यवान गद्य के रूप में इस पुस्तक के पन्नों पर अंकित हुआ है। ‘संकट के समय में कविता’ शीर्षक अध्याय में उनकी स्मृतियाँ वर्तमान तक चली आती हैं जिसमें उन्होंने कोविड के दौर के साथ-साथ कुछ और मार्मिक क्षणों को भी लिपिबद्ध किया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 224p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Vishwanath Tripathi

Author: Vishwanath Tripathi

विश्वनाथ त्रिपाठी

विश्वनाथ त्रिपाठी का जन्म 16 फरवरी, 1931 को उत्तर प्रदेश के जिला बस्ती (अब सिद्धार्थनगर) के बिस्कोहर गाँव में हुआ। आरम्भिक शिक्षा पहले गाँव में, फिर बलरामपुर कस्बे में। उच्च शिक्षा कानपुर और वाराणसी में। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से पी-एच.डी.।

उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘प्रारम्भिक अवधी’, ‘हिन्दी आलोचना’, ‘हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास’, ‘लोकवादी तुलसीदास’, ‘मीरा का काव्य’, ‘देश के इस दौर में’ (हरिशंकर परसाई केन्द्रित); ‘पेड़ का हाथ’ (केदारनाथ अग्रवाल केन्द्रित) (इतिहास-आलोचना); ‘जैसा कह सका’ (कविता-संकलन); ‘नंगातलाई का गाँव’, ‘बिसनाथ का बलरामपुर’ (स्मृति-आख्यान); ‘व्योमकेश दरवेश’ (आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का पुण्य स्मरण), ‘गुरुजी की खेती-बारी’ (संस्मरण)। उन्‍होंने आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के साथ अद्दहमाण (अब्दुल रहमान) के अपभ्रंश काव्य ‘सन्देश रासक’ का सम्पादन किया। ‘कविताएँ 1963’, ‘कविताएँ 1964’, ‘कविताएँ 1965’ (तीनों अजित कुमार के साथ), ‘हिन्दी के प्रहरी : रामविलास शर्मा’ (अरुण प्रकाश के साथ) का भी सम्पादन किया।

उन्हें ‘मूर्तिदेवी सम्मान’, ‘व्यास सम्मान’, ‘आकाशदीप सम्मान’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘शलाका सम्मान’, ‘भारत भारती पुरस्कार’, ‘राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, ‘राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘गोकुलचन्द्र शुक्ल आलोचना पुरस्कार’, ‘डॉ. रामविलास शर्मा सम्मान’, हिन्दी अकादमी के ‘साहित्यकार सम्मान’ आदि से सम्मािनत किया गया है।

सम्पर्क : बी-5, एफ-2, दिलशाद गार्डन, दिल्ली-45

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