Bindu Sindhu Ki Oor

Author: Vairamuthu
Translator: H. Balsubrahamanyam
Edition: 2004, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Bindu Sindhu Ki Oor

भारतीय साहित्य के वर्तमान युग के शलाका-पुरुष कमलेश्वर जी के शब्दों में—‘समकालीन कविता परिदृश्य पर तमिल कवि वैरमुत्तु ने जिस तरह अपने अनुवाद के साथ हिन्दी में उपस्थिति दर्ज की है, उससे साबित होता है कि कविता भाषाओं की सीमा में बँधी नहीं रह सकती। इन कविताओं में वैरमुत्तु अपनी सम्पूर्ण प्रतिभा और कलात्मक प्रखरता के साथ मौजूद हैं। वह शब्दों को ध्वजा की तरह फहराकर कविता नहीं बुनते, वरन् समय को पकड़कर कविता में ही भविष्य का सपना गूँथ देते हैं। वे जीवन में शेष हो चली आस्थाओं की पुनर्रचना करते हैं। उनके शब्दों में संवेदना की छायाएँ झाँकती हैं।...कवि के रचना-संसार में वह सब कुछ है जिसके माध्यम से वह आत्मा की क्षत-विक्षत स्मृतियों में जाकर समय की संवेदना और खुद की सृजनशीलता के मानवीय स्रोतों को खोजता है, तब ही कविता क्लासिकी रंगत के साथ पाठकों को झकझोरने लगती है।’

हिन्दी में विचार-कविताओं के प्रवर्तक तथा स्वप्नदर्शी चिन्तक डॉ. बलदेव वंशी का निरीक्षण है—‘कविताओं में सर्वाधिक मुखर स्वर प्रकृतिपरक कविताओं, प्रकृति-तत्त्वों, प्रकृति-सत्यों, लयों-रंगतों-गतियों एवं विभिन्न बिम्ब-प्रतीकों आदि का है। इसी से कवि की समृद्ध अनुभूतिशीलता, संवेदना, दृष्टिबोध की व्यापकता का परिचय मिलता है और इसी के आधार पर उसके स्वर की प्रामाणिकता भी सिद्ध होती है; क्योंकि प्रकृति अपने आप में एक सत्य है।...निसर्ग (प्रकृति) के साथ ऐसा एकात्म भाव वैरमुत्तु के कवि की ऐसी विरल विशेषता है, जो उन्हें भिन्न एवं महत्त्वपूर्ण बनाती है। युग की बाज़ारवादी, आर्थिक भूमंडलीकरण की अमानवीयता एवं संवेदना-विहीनता के विपरीत वे आत्मिक एवं संवेदनात्मक आग्रहों को लेकर अपनी और भारतीय विश्वदृष्टि की विधेयता सिद्ध कर रहे हैं...‘माटी की गंध’ से भरपूर मस्ती और संघर्ष की साहसिक उत्फुल्लता तथा मज़दूर-ग़रीब-शोषित के प्रति अक्षय आत्मीयता उन्हें बृहत्तर आयामों से जोड़ती है।’

 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2004, Ed. 1st
Pages 303p
Translator H. Balsubrahamanyam
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Author: Vairamuthu

वैरमुत्तु

जन्म : 13 जुलाई, 1953; वडुगपट्टि, ज़िला—तेनी, तमिलनाडु।
शिक्षा : एम.ए. (तमिल साहित्य), विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक विजेता।
कविता में रुचि : बारह वर्ष की आयु से।
पहली कृति : ‘वैगरै मेघंगल्’ (प्रभात के बादल) कविता-संग्रह—19 वर्ष की आयु में।
प्रकाशित पुस्तकें : कविता-संग्रह, जीवनी, उपन्यास, निबन्ध, साक्षात्कार, यात्रा-वृत्तान्त, गीत, आत्मकथा आदि विधाओं में अनेक किताबें प्रकाशित।

फ़िल्मी गीत : साढ़े पाँच हज़ार से ज्‍़यादा गीत-लेखन।
सम्मान : ‘सर्वश्रेष्ठ गीतकार’ के रूप में ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’—5 बार; ‘पावेन्दर’ उपाधि (फ़िल्मी उद्योग में सराहनीय सेवा के लिए), तमिल सरकार, 1989; ‘कलैमामाणि उपाधि’ (साहित्य सेवा के लिए), तमिलनाडु सरकार, 1990; ‘ओनिडा पिनाकल’ (अखिल भारतीय स्तर पर श्रेष्ठ कवि पुरस्कार), ओनिडा इंडिया द्वारा प्रदत्त, 1995; ‘पावेन्दर’ उपाधि (श्रेष्ठ कवि के उपलक्ष्य में) तमिलनाडु सरकार, 1995; ‘पद्मश्री’ उपाधि (साहित्य क्षेत्र में श्रेष्ठ अवदान हेतु), भारत सरकार, 2003; ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, 2003।
विदेश यात्राएँ : अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, कनाडा, चीन, सिंगापुर, मलेशिया, थाइलैंड, श्रीलंका, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, आस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, कुवैत, मालद्वीप आदि।

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