Bhaugolik Chintan Ki Navin Pravratiyan-Hard Cover

Special Price ₹170.00 Regular Price ₹200.00
You Save 15%
ISBN:9788126713356
Out of stock
SKU
9788126713356

इस पुस्तक में भूगोल विषय की संकल्पनात्मक, सैद्धान्तिक एवं क्रियाविधिक स्वरूप का विवेचन एवं विमर्श मुख्य रूप से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के काल के सन्दर्भ में किया गया है। द्वितीय विश्वयुद्ध भौगोलिक चिन्तन के विकास में मील का पत्थर है, क्योंकि इसके बाद विश्व के राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक क्षितिज पर एक नए युग का सूत्रपात हुआ।

उपनिवेशवाद का चरमराता स्वरूप, स्वतंत्र देशों में नई सरकार एवं समाज के विकास के लिए नवीन सोच एवं उत्साह ने भौगोलिक चिन्तकों को भी इस बात की ओर सोचने के लिए प्रेरित किया कि विषय को जीवन्त एवं उपयोगी बनाने के लिए नई विचारधाराओं का विकास किया जाए। इसी पृष्ठभूमि में प्रत्यक्षवाद, मात्रात्मक क्रान्ति, व्यवहारवाद, उग्रसुधारवाद, मानववाद, कल्याणकारी भूगोल, उत्तर-आधुनिकतावाद आदि विचारधाराओं का विकास भूगोल में हुआ। भूगोल की इन्हीं नवीन प्रवृत्तियों का इस पुस्तक में विवेचन किया गया है।

यह कृति इस अर्थ में विलक्षण है कि भूगोल के सबसे गम्भीर पक्ष—‘भौगोलिक विचारधारा’ की नवीनतम प्रवृत्तियों पर नितान्त सुगम, परिष्कृत एवं प्रवाहपूर्ण ढंग से प्रकाश डाला गया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2007
Pages 171p
Price ₹200.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Bhaugolik Chintan Ki Navin Pravratiyan-Hard Cover
Your Rating

Author: Poornima Shekhar Singh

पूर्णिमा शेखर सिंह

जन्म : 11 मार्च, 1958

कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, पटना में अध्यापन। एक दशक से अधिक अध्यापन के अनुभव में इन्होंने भूगोल विषय में गहरी पैठ बनाई है। आपने बी.ए. (ऑनर्स) पटना विश्वविद्यालय से किया। अपनी उच्चतर शिक्षा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सी.एस.आर.डी. (प्रादेशिक विकास अध्ययन केन्द्र) से प्राप्त की। पीएच.डी. करने के लिए इन्होंने आई.सी.एस.एस.आर., नई दिल्ली की डॉक्टरेट फ़ेलोशिप भी इन्होंने प्राप्त की है। इन्होंने एसोसिएशन ऑफ़ ज्योग्राफ़र एवं एसोसिएशन ऑफ़ ज्योग्राफ़र्स ऑफ़ इंडिया (NAGI) के सेमिनार में लेख भी प्रस्तुत किए हैं।

Read More
Books by this Author
Back to Top