Bhartiya Sahityashastra

Literary Criticism
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Bhartiya Sahityashastra
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प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. ब्रह्मदत्त शर्मा ने हिन्दी समीक्षा के मूल तक जाने का प्रयत्न किया है और अग्निपुराणकार, भरत, दण्डी, आनन्दवद्र्धन, वामन, कुन्तक एवं क्षेमेन्द्र की मान्यताओं और मतों को बोधगम्य बनाने का प्रयास किया है। भारतीय चित्त एवं मानस में ये मान्यताएँ इतनी रची-बसी हैं कि सामान्य पाठक भी कविता पढ़ते समय स्वभावत: यह प्रश्न करता है कि कविता किस रस की है, इसमें कौन से अलंकार हैं, कोैन-सी वक्रता है तथा उससे क्या व्यंजित हो रहा है। प्रस्तुत पुस्तक में सभी भारतीय सम्प्रदायों की मान्यताओं का विवेचन उपरोक्त प्रश्नों के सन्दर्भ में किया गया है। किस प्रकार का लेखन साहित्य है और उसकी क्या विशेषताएँ हैं? साहित्यकार किस प्रकार चमत्कारपूर्ण भाषा का प्रयोग कर अपनी अनुभूति को सार्वजनीन व सर्वकालिक बनाता है? किस प्रकार वह अपने भावावेगों का सम्प्रेषण कर उनका साधारणीकरण कर देता है? साहित्यकार किस प्रकार अपने विषयों को चुनता है व उनमें अपनी अनुभूति का संचार करता है? साहित्यकार को साहित्य रचना की प्रेरणा कहाँ से मिलती है तथा उसमें उसकी प्रतिभा का क्या योगदान है? काव्य-सृजन किस हेतु एवं किस प्रयोजनार्थ किया जाना अपेक्षित है? इन गम्भीर प्रश्नों का विवेचन भी सभी भारतीय साहित्य सम्प्रदायों के परिप्र्रेक्ष्य में इस पुस्तक में पाठकों को मिलेगा।.

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 180p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 20 X 12.9 X 4
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Editorial Review

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Brahma Dutt Sharma

Author: Brahma Dutt Sharma

डॉ. ब्रह्मदत्त शर्मा

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद में १ मई, १९४१ को जन्मे डॉ. ब्रह्मदत्त शर्मा कुमायूँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के अंग्रेजी विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष पद से सेवा निवृत्त हुए। तत्पश्चात् उन्होंने ताइज़ विश्वविद्यालय, यमन में अंग्रेजी के आचार्य एवं अध्यक्ष के रूप में सेवाएँ दीं। प्रो. शर्मा पाँच वर्षों तक कुमायूँ विश्वविद्यालय के नैनीताल परिसर के निदेशक भी रहे। आप अंग्रेजी साहित्य के साथ-साथ हिन्दी में भी परास्नातक हैं। अमेरिकन साहित्य में अपनी पी-एच.डी. तथा डी.लिट्. उपाधियाँ मेरठ विश्वविद्यालय से प्राप्त की हैं व साथ ही केन्द्रीय अंग्रेजी संस्थान, हैदराबाद से डिप्लोमा प्राप्त किया है। अब तक अंग्रेजी में पाँच पुस्तकें, भाषा विज्ञान पर एक पुस्तक, एक उपन्यास, एक कहानी संकलन, एक कविता संग्रह तथा हिन्दी में एक कविता संग्रह, अनेक कहानियाँ व भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का इतिहास प्रकाशित किया है। इसके अतिरिक्त प्रो. शर्मा ने अंग्रेजी के लेखकों के साथ-साथ कबीरदास, तुलसीदास, केशवदास, अमृतलाल नागर, लक्ष्मी नारायण मिश्र, रामधारी सिंह दिनकर तथा महादेवी वर्मा जैसे हिन्दी लेखकों पर भी अपने शोध आलेख प्रकाशित किये हैं। प्रो. शर्मा अपने परिवार के साथ हापुड़ एवं प्रयागराज में साहित्य साधना कर समय बिताते हैं।.

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