Bharatiya Shreshtha kahaniyan : Vols. 1

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Bharatiya Shreshtha kahaniyan : Vols. 1
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प्रस्तुत पुस्तक भारतीय श्रेष्ठ कहानियाँ’ में उड़िया, कन्नड़, तेलगु, पंजाबी, मराठी और हिन्दी की चुनी हुई श्रेष्ठ साठ कहानियाँ संगृहीत हैं।

भारत में भिन्न-भिन्न भाषाओं के बावजूद कहानी कला का विकास समानान्तर और समान्तर हुआ है, जो सर्वथा स्वाभाविक है। भारत का इतिहास, भूगोल, संस्कृति और नियति जो एक है। इस संकलन में संगृहीत कोई भी कहानी किसी भी भाषा की कहानी हो सकती है, क्योंकि भाषा की वह बाद में, पहले वह भारतीय कहानी है। भारत की भिन्न-भिन्न भाषाओं में कहानी के विकास को पाठक सम्बद्ध भाषा की कहानियों के प्रारम्भ में उस विभाग के सम्पादक द्वारा प्रस्तुत सर्वेक्षण में देखेंगे। इस सर्वेक्षण में भिन्न-भिन्न भाषाओं के साहित्य में जिस साम्य की सहज प्रतीति होती है, उससे इस विश्वास को बल मिलता है कि समग्र भारतीय-साहित्य की एक इकाई के रूप में, चाहे अलिखित, किन्तु बड़ी प्रौढ़ और अस्तित्वशील परम्परा है, जिससे सभी भाषाएँ अपने-अपने तौर पर प्रेरणाएँ और स्पंदन प्राप्त करती हैं। आवश्यकता है इस अदृश्य-परम्परा को आलेखित करने की, ताकि भाषाओं का यह परिवेश भिन्नता का पर्याय न बनकर विविधता का इन्द्रधनुषी रंग प्रत्यक्ष करे।

आधुनिक-कहानी की शक्ति और महत्त्व इसमें है कि वह संघर्षमय जीवन के कठोर यथार्थ से सर्वांशतः सम्पृक्त है। आज का सारा ही साहित्य उत्तरोत्तर वस्तून्मुखी और यथार्थपरक होता जा रहा है। कविता का कथ्य तक, जो रमणीय-अर्थ और रसात्मक-अनुभूति के पोषण के लिए कल्पना की वायवी उड़ान में आश्रय का लक्ष्य खोजता था, आज यथार्थ की कठोर कंटकाकीर्ण भूमि पर संघर्ष में अपनी उपलब्धि खोज रहा है, यह संघर्ष चाहे भौतिक हो, मानसिक हो या आध्यात्मिक हो। इस दृष्टि से आज की कहानी काव्य का स्थान हड़पती जा रही है—लघु-गल्प कविता का और उपन्यास महाकाव्य का। यहाँ कहानी से ‘लघु-गल्प’ और ‘उपन्यास’ दोनों ही अभिप्रेत हैं।

नई साज-सज्जा के साथ प्रस्तुत यह कहानी संग्रह निःसन्देह पठनीय और संग्रहणीय है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2010
Edition Year 2012, Ed. 2nd
Pages 548p
Translator Translator One
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 5.5
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Author: Sanhaiyalal Ojha

डॉ. सन्हैयालाल ओझा

जन्म - १५ नवम्बर, १९१८ ई. को ग्राम मनासा, जिला- मंदसौर (मध्य प्रदेश) में।

डॉ. ओझा 'सर्वनाम', 'तृतीय पुरुष' 'द्वा सुपर्णी, 'कसौटी' तथा महागाथात्मक उपन्यास 'सम्भवामि' जैसे दर्जनों बहुचर्चित उपन्यासों, नाटक, काव्य जीवनियाँ आदि के यशस्वी प्रणेता के रूप में प्रख्यात हैं। उन्होंने भारतीय भाषा परिषद् के वर्षो उपनिदेशक पद पर कार्य करते हुए प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका 'संदर्भ भारती के संविधान-सम्मत सभी भारतीय भाषाओं के स्वाधीनोत्तर साहित्य के विशेषांकों का संपादन, सर्वश्रेष्ठ कहानियों के दो संकलन, शताधिक पुस्तकों की समीक्षाएँ, विविध विषयों के निबंध आदि लिखे हैं।
प्रबुद्ध पाठकों के लिए हिन्दी जगत की प्रसिद्ध मासिक साहित्यिक पत्रिका 'बात सामयिकी' का सम्पादन किया।

 

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