Bharat Mein Nag Parivar Ki Bhashain

Edition: 2006, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Bharat Mein Nag Parivar Ki Bhashain

भारत में दुनिया के चार सबसे प्रमुख भाषा-परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। सामान्यतया उत्तर भारत में बोली जानेवाली भारोपीय परिवार की भाषाओं को आर्यभाषा समूह, दक्षिण की भाषाओं को द्रविड़भाषा समूह, आस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भाषाओं को मुंडारी भाषा समूह तथा पूर्वोत्तर में रहनेवाली तिब्बती-बर्मी नृजातीय समूह की भाषाओं को नाग-भाषा समूह के रूप में जाना

जाता है।

पूर्वोत्तर की मंगोलायड प्रजाति के नृजातीय समूह (जनजातियों) को प्राचीन साहित्य में नाग अथवा किरात के रूप में वर्णित किया गया है। भाषा और नस्ल—दोनों ही दृष्टियों से इनका गहरा सम्बन्ध चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार से है, लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से यह समूह भारत का अभिन्न अंग है और भारतीयजन के रूप में इनकी पहचान सुस्थापित है। इनकी संख्या भले ही कम हो, मगर सांस्कृतिक वैभव और भाषिक विविधता अनमोल है। डॉ. ग्रियर्सन ने भाषा-सर्वेक्षण के दौरान कुल 179 भाषाओं को चिह्नित किया था, जिनमें से 113 भाषाएँ केवल इस समूह द्वारा बोली जाती हैं। इस दृष्टि से इनकी भाषाओं का अध्ययन जितना रोचक है, उतना ही ज़रूरी भी। परन्तु दुर्भाग्य से भाषाविज्ञान सम्बन्धी अध्ययन केवल भारत में आर्य और द्रविड़ भाषाओं तक ही सीमित रहा है।

जाने-माने भाषा वैज्ञानिक राजेन्द्रप्रसाद सिंह ने अपनी पहली पुस्तक ‘भाषा का समाजशास्त्र’ में अन्य भाषाओं के साथ-साथ आस्ट्रो-एशियाटिक समूह की एक भारतीय भाषा—मुंडारी—को भी अपने विश्लेषण का आधार बनाया था। अब इस पुस्तक में उन्होंने नाग-परिवार की भाषाओं की विस्तृत विवेचना की है और इसके माध्यम से पूर्वोत्तर की संस्कृति पर भी प्रकाश डाला है। भाषाविज्ञान के अध्येता इस क्षेत्र में डॉ. रामविलास शर्मा के कार्य को आगे बढ़ाने के इस सार्थक प्रयत्न को निश्चित रूप से रेखांकित करेंगे।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2006, Ed. 1st
Pages 124p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Rajendra Prasad Singh

Author: Rajendra Prasad Singh

राजेन्द्रप्रसाद सिंह

अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त भाषावैज्ञानिक, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पीएच.डी.।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘भाषा का समाजशास्त्र’, ‘भारत में नाग परिवार की भाषाएँ’, ‘भोजपुरी के भाषाशास्त्र’, ‘भोजपुरी व्याकरण’, ‘शब्दकोश आ अनुवाद के समस्या’, ‘हिन्दी साहित्य का सबाल्टर्न इतिहास’, ‘हिन्दी साहित्य प्रसंगवश’ आदि।

सम्पादित पुस्तकें : ‘कहानी के सौ साल : चुनी हुई कहानियाँ’, ‘काव्यतारा’, ‘काव्य रसनिधि’, ‘दलित साहित्य का इतिहास-भूगोल’, ‘भोजपुरी-हिन्दी-इंग्लिश लोक शब्दकोश’, ‘पंचानवे भाषाओं का समेकित पर्याय शब्दकोश’, ‘साहित्य में लोकतंत्र की आवाज़’।

अंग्रेज़ी में अनूदित पुस्तकें : ‘दि री-राइटिंग प्रॉब्लम्स ऑव भोजपुरी ग्रामर’, ‘डिक्शनरी एंड ट्रांसलेशन’, ‘लैंग्वेजेज ऑव नाग फैमिली इन इंडिया’।

इग्नू की पाठ्य-पुस्तकें : ‘भोजपुरी भाषा और लिपि’, ‘भोजपुरी व्याकरण’, ‘भोजपुरी अनुवाद’।

मॉरीशस सरकार के विशेष अतिथि एवं वहाँ सात दिवसीय व्याख्यान; बी.बी.सी. लन्दन तथा एम.बी.सी., पोर्ट लुई सहित देश के कई आकाशवाणी केन्द्रों से साक्षात्कार एवं वार्ताएँ प्रसारित।

कई राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों, सेमिनारों एवं कार्यशालाओं में सहभागिता तथा व्याख्यान।

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