Beech Mein Vinay

Author: Swayam Prakash
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Beech Mein Vinay
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अपनी प्रगतिशील रचना-दृष्टि के लिए सुपरिचित कथाकार स्वयं प्रकाश की विशेषता यह है कि उनकी रचना पर विचारधारा आरोपित नहीं होती, बल्कि जीवन-स्थितियों के बीच से उभरती और विकसित होती है, जिसका ज्वलन्त उदाहरण है यह उपन्यास। ‘बीच में विनय’ की कथा-भूमि एक क़स्बा है, एक ऐसा क़स्बा जो शहर की हदों को छूता है। वहाँ एक डिग्री कॉलेज है और है एक मिल। कॉलेज में अंग्रेज़ी के एक प्रोफ़ेसर हैं भुवनेश—विचारधारा से वामपंथी, मार्क्सवादी सिद्धान्तों के ज्ञाता। दूसरी तरफ़ मिल-मज़दूरों की यूनियन के एक नेता हैं—कॉमरेड कहलाते हैं, ख़ास पढ़े-लिखे नहीं। मार्क्सवाद का पाठ उन्होंने जीवन की पाठशाला में पढ़ा है। और इन दो ध्रुवों के बीच एक युवक है विनय—वामपंथी विचारधारा से प्रभावित। प्रोफ़ेसर भुवनेश उसे आकर्षित करते हैं, कॉमरेड उसका सम्मान करते हैं और उसे स्नेह देते हैं। वह दोनों के बीच में है लेकिन वे दोनों यानी कॉमरेड और प्रोफ़ेसर...तीन-छह का रिश्ता है उनमें—दोनों एक-दूसरे में, एक-दूसरे की कार्यशैली को नापसन्द करते हैं। विनय देखता है दोनों को और शायद समझता भी है कि यह साम्यवादी राजनीति की विफलता है। लेकिन उसके समझने से होता क्या है...

क़स्बे की धड़कती हुई ज़िन्दगी और प्राणवान चरित्रों के सहारे स्वयं प्रकाश ने यह दिखाने की कोशिश की है कि वहाँ के वामपंथी किस प्रकार आचरण कर रहे थे। लेकिन क्या उनका यह आचरण उस क़स्बे तक ही सीमित है? क्या उसमें पूरे देश के वामपंथी आन्दोलन की छाया दिखाई नहीं देती है? स्वयं प्रकाश की सफलता इसी बात में है कि उन्होंने थोड़ा कहकर बहुत कुछ को इंगित कर दिया है। संक्षेप में कहें तो यह उपन्यास भारत के साम्यवादी आन्दोलन की कारकर्दगी पर एक विचलित कर देनेवाली टिप्पणी है। एक उत्तेजक बहस। एक जड़ताभंजक और निर्भीक हस्तक्षेप।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Edition Year 2017, Ed 3rd
Pages 243p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Swayam Prakash

Author: Swayam Prakash

स्वयं प्रकाश

जन्म : 20 जनवरी, 1947; इंदौर ननिहाल में (मूलत: अजमेर, राजस्थान के निवासी)।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘मात्रा और भार’, ‘सूरज कब निकलेगा’, ‘आसमाँ कैसे-कैसे’, ‘अगली किताब’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘आदमी जात का आदमी’, ‘अगले जनम’, ‘आधी सदी का सफ़रनामा’, ‘पार्टीशन’, ‘नन्हा क़ासिद’, ‘चौथा हादसा’, ‘नैनसी का धूड़ा’, ‘एक कौड़ी दिल से’, ‘संकलित कहानियाँ’ (राष्ट्रीय पुस्तक न्यास), ‘चर्चित कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘जलते जहाज़ पर’, ‘बीच में विनय’, ‘उत्तर जीवन-कथा’, ‘ईंधन’, ‘ज्योतिरथ के सारथी’ (उपन्यास); ‘स्वांतः सुखाय’, ‘दूसरा पहलू’, ‘रंगशाला में एक दोपहर’, ‘एक कहानीकार की नोटबुक’ (निबन्ध); ‘फीनिक्स’, ‘चौबोली’ (नाटक); ‘हमसफ़रनामा’ (रेखाचित्र); ‘धूप में नंगे पाँव’ (आत्मकथात्मक संस्मरण); ‘डाकिया डाक लाया’ (पत्र); ‘और फिर बयाँ अपना’, ‘मेरे साक्षात्कार’, ‘कहा-सुना’ (साक्षात्कार)।

सम्मान : ‘बाल साहित्य पुरस्कार’ (साहित्य अकादेमी), ‘भवभूति सम्मान’, ‘राजस्थान साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘वनमाली स्मृति पुरस्कार’, ‘सुभद्राकुमारी चौहान पुरस्कार’, ‘पहल सम्मान’, ‘पाखी शिखर सम्मान’।

निधन : 7 दिसम्बर, 2019

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