Avgun Chitt Na Dharow

Self-Help,Management
Author: Kiran Sood
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Avgun Chitt Na Dharow

प्यार क्या है? केवल एक अनुबन्ध, या जीवन को जीने का एक सलीका? क्या प्यार वही होता है जो स्त्री-पुरुष के परिणय-बिन्दु पर आकर ठहर जाता है? या फिर उसकी वास्तविक भूमिका इस मोड़ के बाद शुरू होती है? इस उपन्यास का आख्यान इसी बिन्दु से आरम्भ होता है। लेखिका के ही शब्दों में ‘प्यार शादी की रस्म तक खेला गया महज़ रोमांचक खेल नहीं है।’ वह दो सचेत व्यक्तियों के मध्य प्रतिबद्धता का एक पुल है जो उनके जीवन-प्रवाह को मर्यादा भी देता है, और एक-दूसरे के पास, भीतर और आर-पार जाने का रास्ता भी उपलब्ध कराता है। यह उपन्यास सच के धरातल पर घटित प्यार और प्रतिबद्धता का ही आख्यान है। एक ऐसी प्रतिबद्धता जिसको क़ानूनी मोहर और सामाजिक पहरेदारियों की ज़रूरत नहीं पड़ती। जो फूल की तरह ख़ुद-ब-ख़ुद खिलती है और अपनी सुगन्ध से अपने सम्पर्क में आनेवाली हर इकाई को सुवासित कर देती है। लेखिका का पाठक से निवेदन है : ‘चरित्रों का खिलना-खुलना और आपके दिल के नज़दीक आकर बैठ जाना सहज हो तो आप-हम मिलकर उस सुसंस्कृत समाज की कल्पना करें, जहाँ कोई किसी की सम्पत्ति को न्यासी की तरह सँभालने को तैयार हो, जहाँ राधा-कृष्ण के प्रेम की पवित्रता को केवल पूजा न जाए, जिया जाए।’

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 260p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 2
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Editorial Review

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Kiran Sood

Author: Kiran Sood

किरण सूद  

अफ़्रीका के आप्रवासी भारतीय परिवार में जन्म।

प्रारम्भिक शिक्षा लुधियाना में। उच्च शिक्षा देहरादून में। डॉ. भगवतशरण उपाध्याय के निदेशन में ‘द नॉन–एलाइन्ड लॉबी इन द यूनाइटेड नेशन्स’ पर शोधकार्य। डी.फ़िल. उपाधि के लिए ‘ग्रूमिंग फ़्यूचर सिटीजन्स : एजूकेशन एंड मास मीडिया’ विषय पर शोध।

सम्प्रति : राजनीति विज्ञान में रीडर। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ट्रेनिंग सेन्टर एवं पंजाब नेशनल बैंक जोनल ट्रेनिंग सेन्टर एवं आयुध–निर्माणी के रीजनल ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट में व्यक्तित्व–विकास, तनाव–प्रबन्धन, कुशल प्रबन्धन आदि विषयों पर अतिथि वक्तव्य।

महिला अध्ययन, सतत शिक्षा एवं जनसंख्या शिक्षा के सन्दर्भ में विशेष कार्य।

‘पॉलिटिक्स इण्डिया’, ‘धर्मयुग., ‘मनोरमा’, ‘कादम्बिनी’, ‘इंडिया टुडे’ आदि पत्रिकाओं में लेख, कहानी एवं कविताएँ प्रकाशित। अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार, कार्यशाला एवं संगोष्ठियों का आयोजन तथा भागीदारी।

अष्टांग योग में अटूट विश्वास एवं निरन्तर अभ्यास।

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