Aur, Pani Utar Gaya

Author: K. S. Tiwari
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Aur, Pani Utar Gaya

धरती पर जीवन की कड़ियों को जोड़नेवाला अनमोल पानी ग़ायब होने की कगार पर है।

पानी पर लिखी ये चन्द बातें एक स्मरण पत्र भी हैं और चेतावनी भी। स्मरण हमारी नायाब जल परम्पराओं का, जल संरक्षण के बेजोड़ तरीक़ों का और जीवन से जुड़े पानी के अनेक प्रसंगों का। याद करें पानी से जुड़े संस्कारों और पग-पग पर पानी की बातों को।

दर्जनों सरकारी महकमों, सैकड़ों संगठनों, हज़ारों आन्दोलनों और लाखों लोगों के जल संरक्षण के प्रयास खरे नहीं उतर पाए, क्योंकि उन प्रयासों में न ज़िद थी, न जुनून और न जुझारूपन। आज भारत के अधिकांश हिस्से जलसंकट की गिरफ़्त में हैं। देश की आबादी 120 करोड़ पहुँच चुकी है, साथ ही जलस्रोत घटकर एक-चौथाई पर आ सिकुड़े हैं। देश और दुनिया की बढ़ती विकास दर का पानी से सीधा ताल्लुक़ है। यदि पानी न रहा तो हमारे समूचे विकास पर ही पानी फिर सकता है।

इस पुस्तक में लिखी बातें पानी को लेकर लेखक की चिन्ताएँ हैं, कोशिश है यह सबकी चिन्ता हो। ऐसा भी नहीं कि पानी की बातें पहले नहीं कही गई होंगी, ज़रूर कही गई होंगी, पर अब वक़्त के इस दौर में इसके मायने अहम हैं। भारतीय समाज, पानी से गहरे जुड़ा समाज था। हमारी परम्पराएँ, संस्कार, रीति-रिवाज और आदतें पानी से जुड़ी थीं।

दुर्भाग्य से यह उत्कृष्ट परम्परा टूटकर बिखर गई और आज हम एक भयावह भविष्य के सामने खड़े हैं। यह पुस्तक इसी आसन्न संकट के मद्देनज़र हमें जगाने की कोशिश है।

More Information
Language English
Format Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 108p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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K. S. Tiwari

Author: K. S. Tiwari

के.एस. तिवारी

जन्म : 19 सितम्बर, 1954 को म.प्र. के छतरपुर ज़िले के महाराजपुर क़स्बे के बीचोबीच एक पहाड़ी के ठीक नीचे वाले घर में। जीवन की आपाधापी और संघर्षों से जूझते माता-पिता उ.प्र. के कानपुर ज़िले के महाराजपुर क़स्बे में आकर बसे थे।

शिक्षा : स्कूली पढ़ाई महाराजपुर में और कॉलेज की पढ़ाई महाराजा कॉलेज छतरपुर में। सी.एस.आई.आर. फ़ेलोशिप के तहत पी-एच.डी.।

1977 से 2004 तक रीवा के एक सरकारी शिक्षा संस्थान में रसायनशास्त्र का अध्यापन और शोधकार्य।

शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, जल प्रबन्धन के साथ अनेक सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर चिन्ता और चिन्तन। समसामयिक मुद्दों पर लेखन। अब तक 300 से अधिक आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। अनेक शैक्षणिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और पर्यावरणीय संगठनों से जुड़ने के अवसर मिले।

प्रमुख कृतियाँ : ‘एड्स और समाज’, ‘और पानी उतर गया’।

सम्प्रति : 2004 से इग्नू (म.प्र.) भोपाल में क्षेत्रीय निदेशक।

 

 

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