Ashfakulla Aur Unka Yug

Edition: 2021, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Ashfakulla Aur Unka Yug

भारतीय क्रन्तिकारी आन्दोलन के इतिहास-लेखकों में सुपरिचित सुधीर विद्यार्थी की यह पुस्तक काकोरी कांड के सर्वाधिक युवा और तेजस्वी शहीद अशफ़ाक़ उल्ला के महान अवदान का दस्तावेज़ी मूल्यांकन है।

काकोरी कांड का समूचे भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में एक विशेष महत्त्व है। यह केवल ब्रिटिश सरकार पर ही राजनीतिक हमला नहीं था, बल्कि 1921 के असहयोग आन्दोलन के स्थगन से उपजे राजनीतिक शून्य को भरने का भी प्रयास था। साथ ही इस कांड की एक सकारात्मक भूमिका और भी थी। तत्कालीन साम्प्रदायिक माहौल के ख़िलाफ़ राष्ट्रीयता को बढ़ावा देने में इससे भारी प्रेरणा मिली। राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, ठाकुर रोशनसिंह और रामप्रसाद बिस्मिल के साथ अशफ़ाक़ उल्ला का बलिदान भारतीय जनता के लिए अविस्मरणीय हो उठा। अपनी चिट्ठियों, बयानों और नज़्मों से उन्होंने देश को एक नई राह पकड़ने की प्रेरणा देते हुए क्रान्तिकारी आन्दोलन में पहली बार मार्क्सवादी सिद्धान्तों की हिमायत की।

वस्तुतः अशफ़ाक़ उल्ला के क्रान्तिकारी जीवन-संघर्ष के साथ-साथ यह कृति काकोरी युग के समूचे राजनीतिक वातावरण, वैचारिकता और क्रान्तिकारियों की ज्वलन्त राष्ट्रनिष्ठा को तथ्यात्मक ढंग से प्रस्तुत करती है।

More Information
Language Hindi
Publication Year 1991
Edition Year 2021, Ed. 3rd
Pages 164p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 17.5 X 12 X 1
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Sudhir Vidyarthi

Author: Sudhir Vidyarthi

सुधीर विद्यार्थी
जन्म : 1 अक्तूबर, 1953 को पीलीभीत में। पैतृक घर शाहजहाँपुर का खुदागंज गाँव।

शिक्षा : एम.ए., इतिहास।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘अशफ़ाक़उल्ला और उनका युग’, ‘शहीद रोशन सिंह’, ‘उत्सर्ग’, ‘हाशिया’, ‘मेरा राजहंस’, ‘शहीद अहमदउल्ला शाह’, ‘आमादेर विप्लवी’, ‘भगत सिंह की सुनें’ (पंजाबी में भी अनूदित), ‘शहीद भगतसिंह : इन्क़लाब का सफ़र’, ‘पहचान बीसलपुर’, ‘मेरे हिस्से का शहर’, ‘क्रान्तिकारी शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद की जीवन-कथा’, ‘अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद’ (सं.), ‘शहीद भगत सिंह: क्रान्ति का साक्ष्य’, ‘काला पानी का ऐतिहासिक दस्तावेज़’ (सं.), ‘कर्मवीर पं. सुन्दरलाल : कुछ संस्मरण’, ‘शहीदों के हमसफ़र’, ‘अपराजेय योद्धा कुँवर भगवान सिंह’, ‘गदर पार्टी भगत सिंह तक’ (सं.), ‘जब ज्योति जगी’ (सं.), ‘बुन्देलखंड और आज़ाद’, ‘क्रान्तिकारी बटुकेश्वर दत्त’, ‘आज का भारत और भगत सिंह’, ‘क्रान्ति की इबारतें’, ‘जखीरे में शाहदत’ (सं.) आदि।

1985 से साहित्य-विचार की पत्रिका ‘संदर्श’ का सम्पादन और प्रकाशन। आत्मकथात्मक संस्मरण 'मेरा राजहंस’ की एनएसडी सहित देश-भर में 23 नाट्य-प्रस्तुतियाँ। 'अशफ़ाक़उल्ला और उनका युग’ पुस्तक पर आधारित 'स्वराज्य’ का धारावाहिक डीडी-1 पर दो बार प्रदर्शन।

उत्तर प्रदेश के कर्मचारी-मज़दूर आन्दोलन में 20 वर्ष तक सक्रिय भागीदारी व प्रदेशीय नेतृत्व। इसी के तहत दो बार जेल-यात्रा, कई मुक़दमे व यातनाएँ।

सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन एवं संस्कृति-कर्म।

ईमेल : vidyarthisandarsh@gmail.com

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